Monday, February 27, 2012

नाव


अच्छा ही है
कि नहीं हूँ उस नाव में
जो डोलती है, डगमगाती है,
और दूर तक
साहिल न दिखने पर
दलकती है, घबराती है.
कम-से-कम
अब इतमिनान तो है
कि इन पहाड़ी कंदराओं में भी
मेरे मन की नाव
विचारों के कई समुद्र
आसानी से पार कर जाती है
सुदृढ़ है, सुगढ़ है,
वीरतापूर्वक
बस बढ़ती ही जाती है.
ना दलकती है, ना घबराती है,
और तूफानों में भी हरदम
मदमस्त मुस्कुराती है,
क्योंकि पता है उसे
कि डटकर सामना करना ही
ज़िन्दगी कही जाती है.

Picture Courtesy: Sheshagiri Rao: Brahmaputra, Guwahati, India

Monday, February 20, 2012

ढिबरी


बिजली का बल्ब
जगमग, स्थिर, समतापी
ढिबरी की लौ
डगमग, अस्थिर, कालिखी
बल्ब शहरी, पढ़ी लिखी,
दुल्हन नयी-नवेली,
ढिबरी पुरानी सूत डली  
एक शीशी खाली
बल्ब का प्रकाश
साफ़ स्वच्छ अमीरी
ढिबरी की रौशनी
कुंठित काली ग़रीबी
बल्ब माने
सीना तान के चलना
ढिबरी माने
दुबकना भभकना
लुढकना फिसलना
क्या कहूं?
प्रारब्ध, प्रकृति या प्रवृत्ति!
या फिर
निज नियति की निवृत्ति!
क्योंकि
स्वच्छता में
कालिखी का
पता कहाँ चलता है!
और ये कि
एक बल्ब के लिए
सौ ढिबरीयों का तेल
कहीं और जलता है!

Friday, February 17, 2012

तज तुच्छ विचार, जगो तुम मन




तज तुच्छ विचार, जगो तुम मन  
हो सोच समग्र, सार्थक जीवन.

प्रतीक्षा में देव-मंडली खड़ी,
हैं उन्हें तुमसे आशाएं बड़ी.
होकर निर्जीव धर्म-पथ पर
अगणित हैं आत्माएं पड़ी,
उनमें जीवन संचार करोगे
ठान लो बस अब ये तुम मन.
तज तुच्छ विचार, जगो तुम मन

पोंछना उनके अश्रुधार और
मुख पर उनके मुस्कान लाना,
थामकर वेदना, पीड़ाओं को,
एक मधुर बंसी तुम बजाना.
पीड़ा-दुःख से कातर ना होगे
दृढ-निश्चयी हो आगे बढ़ो मन
तज तुच्छ विचार, जगो तुम मन

परोपकार, सेवा, साधना में
स्वयं को समाहित रखो मन,
अनुराग-सिक्त अनाहात को
रिपु-पाशों से रहित रखो मन.
एक नव-नूतन धरा का
अब तो सृजन करो तुम मन
तज तुच्छ विचार, जगो तुम मन
हो सोच समग्र, सार्थक जीवन.

This is a 'Prabhaat Samgiita', originally written in Bengali by Shrii Prabhat Ranjan Sarkar. Being one of my most favorite and inspiring song, I have tried to write the same in Hindi.
Here is the song in Bengali:
Man_ke_kono_chhoto_kaje

And here is the original lyrics:
Man_ke_kono
Picture Courtesy: Priyadarshi Ranjan


========================================================
English translation:

In any low thought
I will not allow my mind to fall.
No, no, I won't do petty, selfish, small things.
I'll seat my mind in the effulgence of meditation,
I'll create a new world.
This world and the celestial realms
are waiting for me
in breathless expectation.
I'll fulfill their hopes.
I'll cause the stream of life to flow.
Removing tears, I'll bring smiles.
Crying will cease and flutes will play.
On this earth will descend auspicious days.
Sorrows and pains will torment me no more.
========================================================



Original in  Bangla:

MAN KE KONO CHOT́O KÁJEI,
NÁVTE DOBO NÁ
NÁ, NA, NA, NÁVTE DOBO NÁ

DHYÁNER ÁLOY BASIYE DOBO,
KARABO NOTUN DHARÁ RACANÁ
NÁ, NA, NA, NÁVTE DOBO NÁ

MAN KE KONO CHOT́O KÁJEI,
NÁVTE DOBO NÁ

BHULOK DYULOK ÁMÁRI ÁSHE,
CEYE ÁCHE RUDDHA ÁVESHE
TÁDER ÁSHÁ PÚRŃA KARE
BAHÁBO PRÁŃER JHARAŃÁ
NÁ, NA, NA, NÁVATE DOBO NÁ

MAN KE KONO CHOT́O KÁJEI
NÁVTE DOBO NÁ

ASHRU MUCHE ÁNÁBO HÁSI
KÁNNÁ SARE BÁJABE GO BÁNSHII
MÁT́IR PARE ÁSABE SUDIN
KLESH JÁTANÁ KÁRO ROVE NÁ
NÁ, NÁ, NÁ, NÁVTE DOBO NÁ

MAN KE KONO CHOT́O KÁJEI
NÁVTE DOBO NÁ

(By Shrii Prabhat Ranjan Sarkar)
=========================================================



Saturday, February 11, 2012

कैसे कहूँ मैं


बेटे-बेटियां पढाई-लिखाई, नौकरी-पेशे के सिलसिले में दूर किसी शहर में रहने लगे हैं.
माँ-बाप ने पाला-पोसा, बड़ा किया, बच्चों को लायक बनाया- पर आज वो अकेले हो गए हैं.
और करें भी तो क्या करें- बच्चे दूर हैं, व्यस्त हैं, नाम रोशन कर रहे हैं माँ-बाप का,
इन भावनाओं के बीच ये जो अचानक सा अकेलापन आ गया है, उसे "कैसे कहूँ मैं?"


कैसे कहूँ मैं
कि आजकल बहुत उदास रहती हूँ
तू इतनी दूर जो चला गया है,
बस तेरे ख्यालों के पास रहती हूँ.
तेरी ही फ़िक्र में तो
सारा जीवन काटा है
तेरी सारी खुशियों को, ग़मों को
अब तक मैंने ही बांटा है.
तेरी हर हार में संबल के
पुष्प संजोय हैं मैंने,
और हर इक जीत पर
ख़ुशी के आंसू रोये हैं मैंने.
तेरे लिए ही तो अपने कर्म को
सदा तपस्या सम माना,
तू चमके चाँद सितारों सा
यही सपना बस मन में ठाना.
आज तू चमक रहा है
दूर कहीं आसमान में,
बिलकुल वैसे ही
जगमग चाँद सितारों सा,
और तेरी चमक से
रौशन-रौशन सा है
मेरा भी छोटा-सा जहां
मेरी तपस्या सफल रही
बस यही तसल्ली दिया करती हूँ,
कैसे कहूँ मैं
कि आजकल बहुत उदास रहती हूँ.

तू इतनी दूर जो चला गया है!


Picture Courtesy: Priyadarshi Ranjan

Dedicated to you Maa :) 

Friday, February 10, 2012

स्वास्थ्य-चेतना


बचपन देखो पीड़ा भरा-सा 
दुःख का और लाचारी का
ग़रीबों को बिना इलाज,
शिकार भूख, बीमारी का! 

क्या होगा वैभव विलास
जो पीड़ा उनकी बाँट न पायें,
पढ़-लिखके भी उनके लिए
कुछ अच्छा न कर पायें!

एक उद्देश्य यहाँ ये भी हो,
'आरोग्य' प्रसार हम कर पायें, 
तृण-तृण से भी कुछ विशेष 
भीड़ में हम सब कर जाएँ !

इसीलिए विनती है सबसे
स्वास्थ्य-चेतना हम फैलाएं
'प्रथम सुख निरोगी काया है'
गर्व से हम सब कह पायें!

"So, Stay healthy, save money on medicine and contribute it for the poor!"

Picture Courtesy: http://publichealth.msu.edu/pph/index.php/academic-programs/graduate-certificate/international

Friday, February 3, 2012

...मेरे हर क्षण के सार रहे!




जीवन जब भीषण आंधी था,
तुम प्यार की बन बयार बहे,
था धुत नशा, पग डगमग जब,
संबल-से पथ पर हर बार रहे.

रौंदे मेड़ों की जब किनार
धारा जीवन की बिखरी थी,
तुम ही सबल, संवर्धक-से
जुड़ते तिनकों के तार रहे.

तम था इतना, तुम क्या दिखते!
नयना भी मेरे क्या करते !
फिर भी कितनी उत्कंठा से,
मेरे हर क्षण के सार रहे!

था छोड़ चला इक सृष्टि मैं,
जब नवजीवन के स्वागत में,
उस पार प्रिये तुम ही तुम थे,
तुम ही हो जो इस पार रहे!