सहगामिनी हो जीवन-पथ की,
सहभागी एक-से स्वप्नों की,
हाँ, उसके सुरमयी स्वप्नों की
संचयिका बनना चाहता हूँ.
वो कहे तो मैं सजदे कर लूँ,
या खुद के घुटनों पे हो लूँ,
मगर जहाँ वो सिर रख सके,
वो कन्धा देना चाहता हूँ.
सिर झुका कर बातें कर लूँ,
नेह उसका पलकों पे धर लूँ,
पर उसे सदा मैं आसमान की
बुलंदियों पर देखना चाहता हूँ.
संचयिका बनना चाहता हूँ.
Picture Courtesy: http://www.nairaland.com/497893/kneel-down-feed-husband/3
शुभप्रभात .... !!
ReplyDelete*पर उसे सदा मैं आसमान की
बुलंदियों पर देखना चाहता हूँ*
हमेशा ऐसा ही बने रहना .... !!
बहुत सुन्दर सपने ... और सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत समर्पण भाव से लिखी रचना .
ReplyDeleteफोटो में अगर हिन्दुस्तानी झलक होती तो और भी मजा आता .
बहुत खूब
बहुत खूब मित्र !
ReplyDeleteसादर
सिर झुका कर बातें कर लूँ,
ReplyDeleteउसका नेह पलकों पे धर लूँ,
पर उसे सदा मैं आसमान की
बुलंदियों पर देखना चाहता हूँ.
बहुत सुन्दर भाव... सुन्दर रचना
बहुत अच्छे ख्याल ....
ReplyDeleteKhoobsoorat Khayaal hai maduresh bhai..
ReplyDeleteखूबसूरत भाव की खूबसूरत अभिव्यक्ति !!
ReplyDeleteकोमल भाव से लिखी बेहतरीन, सुन्दर रचना....
ReplyDeleteVery nice post.....
ReplyDeleteAabhar!
Mere blog pr padhare.
बहुत ही नेक और ऊँची सोच .....
ReplyDeleteखुश्ह हुआ मन पढ़ कर ...!!
शुभकामनायें.
अति सुंदर...और सुंदर तो होना तय था...जब प्रेरणा इतनी ही सुंदर है...
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteतथास्तु, ख्वाहिश पूरी हो
ReplyDeleteखुबसूरत अल्फाजों में पिरोये जज़्बात....शानदार |
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति....
ReplyDeleteWah! This reminds me of a hindi movie, can't recall the name. Beautiful to the core:)
ReplyDeleteसमर्पण के सार्थक भाव ....
ReplyDeletebahut sundar...shbdon mein samrthy hai khwab bunane ki..
ReplyDeleteखूबसूरत भावाभिव्यक्ति....
ReplyDeleteहार्दिक बधाई
Ati sundar ...wah
ReplyDeleteमगर जहाँ वो सिर रख सके,
ReplyDeleteवो कन्धा देना चाहता हूँ.
ऐसा ही हो सहचर मेरा । सुंदर भावबीनी कविता ।
सदा जी, हलचल में शामिल करने के लिए आभार! :)
ReplyDeleteसादर,
मधुरेश
हर प्रेमी ह्रदय की यही चाहत..अति सुन्दर..
ReplyDeleteवाह, बहुत सुंदर प्रस्तुति । मेरे नए पोस्ट "बिहार की स्थापना के 100 वर्ष पर" आपके प्रतिक्रियाओं की आतुरता से प्रतीक्षा रहेगी । धन्यवाद ।
ReplyDeletebahut sundar
ReplyDeleteएक बार फिर से सीधे सादे शब्दों में सुन्दर बयान
ReplyDeleteबधाई
Mast jhakaas....All the best to u..:P
ReplyDeleteपर उसे सदा मैं आसमान की
ReplyDeleteबुलंदियों पर देखना चाहता हूँ.
...एक बहुत ही उत्कृष्ट और rare भावना ...!!!!
भाव मय रचना ...
ReplyDeleteउनको बुलंदी पे देखने की चाह ... लाजवाब है ...
कम शब्दों में बहुत कुछ कह गए आप,सार्थक प्रस्तुति :)
ReplyDeleteमेरा ब्लॉग आपके इंतजार में,समय मिलें तो,बस एक झलक-
"मन के कोने से..."
आभार..|
A heartwarming serenade indeed! The desire to be her roots as your lover's dreams take wings, what could be more beautiful and purer than that :)
ReplyDeletedeeply touched :)