Monday, May 28, 2012

सहगामिनी


सहगामिनी हो जीवन-पथ की,
सहभागी एक-से स्वप्नों की,
हाँ, उसके सुरमयी स्वप्नों की
संचयिका बनना चाहता हूँ.

वो कहे तो मैं सजदे कर लूँ,
या खुद के घुटनों पे हो लूँ,
मगर जहाँ वो सिर रख सके,
वो कन्धा देना चाहता हूँ.

सिर झुका कर बातें कर लूँ,
नेह उसका पलकों पे धर लूँ,
पर उसे सदा मैं आसमान की
बुलंदियों पर देखना चाहता हूँ.


हाँ, उसके सुरमयी स्वप्नों की
संचयिका बनना चाहता हूँ.


Picture Courtesy: http://www.nairaland.com/497893/kneel-down-feed-husband/3

32 comments:

  1. शुभप्रभात .... !!
    *पर उसे सदा मैं आसमान की
    बुलंदियों पर देखना चाहता हूँ*
    हमेशा ऐसा ही बने रहना .... !!

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  2. बहुत सुन्दर सपने ... और सुन्दर प्रस्तुति

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  3. बहुत समर्पण भाव से लिखी रचना .
    फोटो में अगर हिन्दुस्तानी झलक होती तो और भी मजा आता .
    बहुत खूब

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  4. बहुत खूब मित्र !


    सादर

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  5. सिर झुका कर बातें कर लूँ,
    उसका नेह पलकों पे धर लूँ,
    पर उसे सदा मैं आसमान की
    बुलंदियों पर देखना चाहता हूँ.
    बहुत सुन्दर भाव... सुन्दर रचना

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  6. बहुत अच्छे ख्याल ....

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  7. Khoobsoorat Khayaal hai maduresh bhai..

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  8. खूबसूरत भाव की खूबसूरत अभिव्यक्ति !!

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  9. कोमल भाव से लिखी बेहतरीन, सुन्दर रचना....

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  10. Very nice post.....
    Aabhar!
    Mere blog pr padhare.

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  11. बहुत ही नेक और ऊँची सोच .....
    खुश्ह हुआ मन पढ़ कर ...!!
    शुभकामनायें.

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  12. अति सुंदर...और सुंदर तो होना तय था...जब प्रेरणा इतनी ही सुंदर है...

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  13. सुन्दर प्रस्तुति

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  14. तथास्तु, ख्वाहिश पूरी हो

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  15. खुबसूरत अल्फाजों में पिरोये जज़्बात....शानदार |

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  16. बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति....

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  17. Wah! This reminds me of a hindi movie, can't recall the name. Beautiful to the core:)

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  18. समर्पण के सार्थक भाव ....

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  19. bahut sundar...shbdon mein samrthy hai khwab bunane ki..

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  20. खूबसूरत भावाभिव्यक्ति....
    हार्दिक बधाई

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  21. मगर जहाँ वो सिर रख सके,
    वो कन्धा देना चाहता हूँ.

    ऐसा ही हो सहचर मेरा । सुंदर भावबीनी कविता ।

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  22. सदा जी, हलचल में शामिल करने के लिए आभार! :)
    सादर,
    मधुरेश

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  23. हर प्रेमी ह्रदय की यही चाहत..अति सुन्दर..

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  24. वाह, बहुत सुंदर प्रस्तुति । मेरे नए पोस्ट "बिहार की स्थापना के 100 वर्ष पर" आपके प्रतिक्रियाओं की आतुरता से प्रतीक्षा रहेगी । धन्यवाद ।

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  25. एक बार फिर से सीधे सादे शब्दों में सुन्दर बयान
    बधाई

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  26. Mast jhakaas....All the best to u..:P

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  27. पर उसे सदा मैं आसमान की
    बुलंदियों पर देखना चाहता हूँ.
    ...एक बहुत ही उत्कृष्ट और rare भावना ...!!!!

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  28. भाव मय रचना ...
    उनको बुलंदी पे देखने की चाह ... लाजवाब है ...

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  29. कम शब्दों में बहुत कुछ कह गए आप,सार्थक प्रस्तुति :)

    मेरा ब्लॉग आपके इंतजार में,समय मिलें तो,बस एक झलक-
    "मन के कोने से..."
    आभार..|

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  30. A heartwarming serenade indeed! The desire to be her roots as your lover's dreams take wings, what could be more beautiful and purer than that :)
    deeply touched :)

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