इक सुन्दर, श्रृंगार की कविता
दिल करता तुम पे लिख डालूँ.
कुछ शब्द संजोऊँ मीठे से,
मधुशाला तुम पे लिख डालूँ.
पलकें जब उठती-गिरती हैं
खाली प्याला भर जाता है,
तुम्हे देख-देख ही नयनो में
पुरज़ोर नशा चढ़ जाता है.
किन शब्दों से मुख के रज का
करूँ वर्णन मैं इस नीरज का!
मन रजनि पा तुम सा मयंक,
बस तृप्त-तृप्त हो जाता है.
मुस्कान मृदुल मनमोहक जब
बनकर कुसुम मुख पर खिलती,
जी करता उनको चुन-चुन कर
इक माला उनकी गढ़ डालूँ.
कुछ शब्द संजोऊँ मीठे से,
मधुशाला तुम पे लिख डालूँ.
Picture Courtesy:Priyadarshi Ranjan
Dedicated to Abhishek Bhaiya and Bhabhi :) Wedding gift :)
P S : 'बच्चन' की 'मधुशाला' से इन पंक्तियों का न तो कोई सरोकार है, न ही तुलना की जा सकती है.... पाठकगण से अनुरोध है की इसे simply एक श्रृंगार की कविता के तौर पर पढ़ें. आभार!
सुंदर शाब्दिक संयोजन ....बहुत बढ़िया रचना
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति ।
ReplyDeleteनवसंवत्सर की शुभकामनायें ।।
बहुत सुन्दर.........
ReplyDeleteइससे बेहतर तोहफा कुछ हो नहीं सकता...
मधुरेश की मधु में डूबी मधुशाला....
Really very nice, bhavon se bhari madhushala(kavita)
ReplyDeleteकुछ शब्द संजोऊँ मीठे से,
ReplyDeleteमधुशाला तुम पे लिख डालूँ.
Bahut khobb...
मधुशाला है इक नशा या जीवन है
ReplyDeleteइसको पहले जान लो फिर लिखना मधुशाला...
अनुपम भाव संयोजन लिए ...बेहतरीन पंक्तियां
ReplyDeleteक्या बात है...बहुत खूब सर!
ReplyDeleteसादर
आपको नव संवत्सर 2069 की सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएँ।
ReplyDelete----------------------------
कल 24/03/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
हलचल में शामिल करने के लिए बहुत धन्यवाद यशवंत जी!
Deleteनव-वर्ष की आपको भी बहुत बहुत शुभकामनाएं!
बहुत खूबसूरत मधुशाला
ReplyDeleteबहुत सुंदर अभिव्यक्ति!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना ----------धन्यवाद
ReplyDeleteधन्यवाद, संध्या जी.
Deleteमधुशाला में आपका स्वागत है.
सादर
सप्रथम में शीर्षक पढ़के मुग्ध हो गया I
ReplyDeleteसब्दो को प्रबुधता के साथ बुना गया है जो की वर्णनीय है I
इति में मेरे चित्र का मान बढ़ने के लिए धन्यबाद I
my pleasure! :)
Deletesunder bhav .............
ReplyDeleteधन्यवाद, रोशी जी.
Deleteमधुशाला में आपका स्वागत है.
सादर
bahut sunder abhivyakti ... !!
ReplyDeleteधन्यवाद, क्षितिजा जी.
Deleteमधुशाला में आपका स्वागत है.
सादर
ab nahi rahe wo peene wale .. aab nahi rahi wo madhushala :)
ReplyDeletebahut sunder rachna
ReplyDeleteधन्यवाद, पूनम जी.
Deleteमधुशाला में आपका स्वागत है.
सादर
पलकें जब उठती-गिरती हैं
ReplyDeleteखाली प्याला भर जाता है,
तुम्हे देख-देख ही नयनो में
पुरज़ोर नशा चढ़ जाता है.
वाकई मधुशाला लिख सकते हैं आप ....बहुत सुन्दर गीत
धन्यवाद, सुमित जी.
ReplyDeleteमधुशाला में आपका स्वागत है.
सादर
कुछ शब्द संजोऊँ मीठे से,
ReplyDeleteमधुशाला तुम पे लिख डालूँwaah very nice.......
सुन्दर गीत....
ReplyDeleteनवसंवत्सर की हार्दिक बधाई...
मदहोशी बिखेरती हुई सुन्दर रचना..
ReplyDeleteइक सुन्दर, श्रृंगार की कविता
ReplyDeleteदिल करता तुम पे लिख डालूँ.
कुछ शब्द संजोऊँ मीठे से,
मधुशाला तुम पे लिख डालूँ.
वाह ! सुन्दर अहसास ...और क्या चाहेगी एक प्रेयसी !!!!
बहुत अच्छे!
ReplyDeletesundar kavita
ReplyDeleteBahut sundar...:)
ReplyDeleteबहुत ही मार्मिक अभिव्यक्ति । मेरे पोस्ट पर आपका बेसब्री से इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।.
ReplyDeleteपलकें जब उठती-गिरती हैं
ReplyDeleteखाली प्याला भर जाता है,
तुम्हे देख-देख ही नयनो में
पुरज़ोर नशा चढ़ जाता है....
प्रेम की मधुर अभिव्यक्ति ... मज़ा आ गया पढ़ के ...
पलकें जब उठती-गिरती हैं
खाली प्याला भर जाता है,
तुम्हे देख-देख ही नयनो में
पुरज़ोर नशा चढ़ जाता है.
:)
सुंदर ! अति सुंदर !!
# गीत का विस्तार किया हो तो लिंक भेजें बंधु !
बहुत ही मधुर ....मधु सी मधुशाला .....मीठे शब्दों को ही नही बहावो को संजोती आपकी ये रचना .....
ReplyDeleteआपकी मधुशाला भी बहुत खूबसूरत है. बधाई
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