Wednesday, October 27, 2010

सजल आँखें


सपनें जहाँ बसते थे,

अरमान जहाँ जगते थे,

बयां करती थी जो हर पल

दिल के उमंगों को,

वो आज यूँ ख़ामोश हैं

जैसे फूल हो खिज़ा के.

तुम्हारी सजल आँखें.

Picture Courtsey: http://www.paintingsilove.com/image/show/127127/sadness
 Dedicated to my Dad, from whom I inherit writing six liners.

प्रिय तुम यूँही



प्रिय तुम यूँही दीपक सा बन,
प्राणों को उजियारा रखना,
प्रेम-नदी में खुद को एक
औ' मुझको एक किनारा रखना.


जब होते तुम पास हमारे,
मन मंद-मंद मुस्काता है,
और जब होते दूर कभी तो,
यादों में खो जाता है.
एक मधुर मुस्कान के जैसे
होंठों का इशारा रखना
प्रेम-नदी में खुद को एक
औ' मुझको एक किनारा रखना.

क्या हुआ जो जीवन पथ में
कंटकों के शर उगे हों,
क्या हुआ 'ग़र नियति में
दो-चार पल दूभर हुए हों,
तुम कोमल कुसुम  बिछाकर
मन के आँगन को प्यारा रखना
प्रेम-नदी में खुद को एक
औ' मुझको एक किनारा रखना.


प्रिय तुम यूँही दीपक सा बन,
प्राणों को उजियारा रखना
Dedicated to Swayam Bhaiya and Pooja Bhabhi, the sweet inspiration of living in love!!