Saturday, November 24, 2012

सागर की कशमकश


नदियों का प्रेम समर्पण का,
उनका तो प्रेम प्रवाह है बस। 
आग़ोश में लेता जाता फिर भी,
सागर की है कुछ कशमकश!

अथाह प्रेम समर्पण का
नदियाँ अपने संग लाती हैं,
पर पत्थर राहों में घिसकर
थोड़ी नमक भी घोल आती हैं।

ये चुटकी भर नमक नहीं
नदियों का मीठापन हरता है,
लेकिन यूँही बूँद-बूँद कर
सागर को खारा करता है।

और जब नदियाँ बादल बनकर
उड़ जाती सागर के ऊपर,
तो फिर बचता सागर में बस
उनका त्यागा नमक चुटकीभर!

सदियों के इस सिलसिले में
सागर खारा होता जाता है,
फिर भी प्रेम कहो कितना जो,
नदियों को फिर भी भाता है!


Inspired by बावली नदी

Dedicated to dear Anu di :) 

Picture Courtesy: http://www.nwfsc.noaa.gov/research/divisions/fed/oceanecology.cfm

Wednesday, November 21, 2012

The Two Angels (दो परियाँ)



मन सुरभित, जीवन सुरभित,
ये हर्ष, प्रमोद की वाहिनी,
करतीं मृदुल मुस्कान लिए
हैं अठखेलियाँ मनभावनी।

जो लेता इनको गोदी में,
खुद ही इतराता फिरता है,
खिंचवा इनके संग-संग फोटो
क्या ही इठलाता फिरता है!

इनकी ममता पूजा जैसी,
वात्सल्य स्वयं सौरभ जैसा,
महके घर-आँगन नित इनसे,
चहकें तो स्वर्ग कहाँ ऐसा !

इन्हें देख नयन यूँ चमके हैं,
ज्यों चाँद हो पूनम श्रावणी,
हैं मनमोहक मनभावनी,
ये हर्ष, प्रमोद की वाहिनी!

:) :)


To my lovely niece-twins

Monday, November 12, 2012

क्या ही रौशनी बख्शी है !



तेरी हर वो आहट
जो मुझे उतरन-सी लगी,
तूने मुझे उसमे
ऊँचाई ही बख्शी है !

ये कैसा दरिया है
कि जहाँ डूबा,
वहीं पार भी हुआ,
क्या ही ज़िन्दगी बख्शी है !

कभी तो ऐसा था 
कि सब्रो-करार न था,
अब इन थमी साँसों में भी
बन्दगी ही बख्शी है !

इक अँधेरा ही तो था,
ये जो उजाला है अभी,
दीप जो मन का जला है,
क्या ही रौशनी बख्शी है !

Saturday, November 3, 2012

कुछ यूँ जीना सीखा है


कोमल कुसुम ये मन-प्रसून,
और कठोर सा काल-पटल,
टकराया, गिरा, औ' फिर उठा,
है वज्र बना ये पिस-पिस कर.
अपनी कमज़ोरी से मैंने
ताकतवर बनना सीखा है.
हाँ, कुछ यूँ जीना सीखा है.

जिसने पीड़ा को अपनाया,
है जिसने रुद्न-गीत गाया,
उसने ही खुशियों का दामन
आजीवन मन में है पाया.
मैंने दुःख में भी दमभर कर
हँसना-मुस्काना सीखा है.
हाँ, कुछ यूँ जीना सीखा है.

हो लाख बला तूफानों में,
या चलना हो पाषाणों में,
होती हो कहीं अग्निवृष्टि,
मैं हूँ स्थिर इन प्राणों में.
डगमग से पथ पर भी मैंने
खुद संबल देना सीखा है,
हाँ, कुछ यूँ जीना सीखा है.


Picture Courtesy: http://www.markeirhart.com/storm-abstract-art-painting.htm