Saturday, November 3, 2012

कुछ यूँ जीना सीखा है


कोमल कुसुम ये मन-प्रसून,
और कठोर सा काल-पटल,
टकराया, गिरा, औ' फिर उठा,
है वज्र बना ये पिस-पिस कर.
अपनी कमज़ोरी से मैंने
ताकतवर बनना सीखा है.
हाँ, कुछ यूँ जीना सीखा है.

जिसने पीड़ा को अपनाया,
है जिसने रुद्न-गीत गाया,
उसने ही खुशियों का दामन
आजीवन मन में है पाया.
मैंने दुःख में भी दमभर कर
हँसना-मुस्काना सीखा है.
हाँ, कुछ यूँ जीना सीखा है.

हो लाख बला तूफानों में,
या चलना हो पाषाणों में,
होती हो कहीं अग्निवृष्टि,
मैं हूँ स्थिर इन प्राणों में.
डगमग से पथ पर भी मैंने
खुद संबल देना सीखा है,
हाँ, कुछ यूँ जीना सीखा है.


Picture Courtesy: http://www.markeirhart.com/storm-abstract-art-painting.htm

13 comments:

  1. बहुत खूब मधुरेश भाई. वही पुराना शेर जो बरसों पहले सुना था याद आया.
    इस तरह तय की ही हमने मंजिलें
    गिर गये, गिरकर उठे, फिर चले

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  2. बहुत अच्छा लिखा...जीना है तो हर हाल में खुश रहो...चाहे जो सितम आए कदम रुकने न पाए!

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  3. ...बस यूहीं ही जीना सीखते हैं :))))

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  4. Aisi kamzori ko salaam, jo taakatwar banna sikhade!

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  5. अपनी कमज़ोरी से मैंने
    ताकतवर बनना सीखा है.
    हाँ, कुछ यूँ जीना सीखा है..bilkul sahi bat apni kamjori ko jaane tabhi hm takatwar bn sakte hain....

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  6. मैंने दुःख में भी दमभर कर
    हँसना-मुस्काना सीखा है.
    हाँ, कुछ यूँ जीना सीखा है.... जीवन का अर्थ इसी दुःख की मुस्कान में है

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  7. मैं हूँ स्थिर इन प्राणों में.
    डगमग से पथ पर भी मैंने
    खुद संबल देना सीखा है,
    हाँ, कुछ यूँ जीना सीखा है.,,,

    दुख सुख ही जीवन है,,,,इसी का नाम जिन्दगी है,,,,,

    RECENT POST : समय की पुकार है,

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  8. डगमग से पथ पर भी मैंने
    खुद संबल देना सीखा है,
    हाँ, कुछ यूँ जीना सीखा है.

    सकारात्मक सोच की ऊर्जा लिए विचार.....

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  9. पूरी कविता ही प्रेरणात्मक भाव से ओत प्रोत है..बधाई.

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  10. आशा से पूरित ये कविता बहुत सुन्दर लगी।

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  11. हो लाख बला तूफानों में,
    या चलना हो पाषाणों में,
    होती हो कहीं अग्निवृष्टि,
    मैं हूँ स्थिर इन प्राणों में.
    डगमग से पथ पर भी मैंने
    खुद संबल देना सीखा है,
    हाँ, कुछ यूँ जीना सीखा
    जीवन को जीने का यह अंदाज बहुत ही बढिया... लाजवाब प्रस्‍तुति

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  12. डगमग से पथ पर भी मैंने
    खुद संबल देना सीखा है,
    हाँ, कुछ यूँ जीना सीखा है.

    ...लाज़वाब प्रेरक अभिव्यक्ति...शब्दों और भावों का सुन्दर संयोजन..

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  13. जीवन को जीने का यह अंदाज...लाजवाब..लाजवाब

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