जो नयन तुम्हारे थक-थक जाएं,
और निंदिया हौले-हौले आए,
पलकों के पीछे पलते स्वप्न हों,
तो न आँखें मींच मींच लेना,
तुम नेह सींच सींच लेना।
जिनमें मधुर सरिता हो बहती,
स्नेहिल स्वर्ण कणिका हो रहती,
उन स्वप्नों को लेना तुम थाम,
और बांहों में भींच भींच लेना,
तुम नेह सींच सींच लेना।
जब होते स्वप्न हो विदा विदा,
मत होना उनसे जुदा जुदा,
तुम निद्रा-पटल से बाहर आकर
उन्हें साकार खींच खींच लेना,
तुम नेह सींच सींच लेना।
Dreams are inner expressions,
Dreams are the life's inspirations,
Dreams are where the reality is seeded
Dreams are where the love sprouts
Dream love, dream cheers,
Dream for self, dream for peers,
Dream and dream, until you realize
Dream and never let your dream die.
इश्वर आपके अनुनय विनय को स्वीकार करे ...बहुत हीं प्यारी रचना ...
ReplyDeleteधन्यवाद स्वाति जी। :)
Deleteबहुत प्यारे और कोमल भावों को लिए सुंदर रचना
ReplyDeleteधन्यवाद संगीता आंटी। :)
Deleteतुम नेह सींच सींच लेना।
ReplyDeletebahut sundar:-)
Thanks Prakash bhai! :)
Deleteबहुत प्यारे भाव
ReplyDeleteधन्यवाद वंदना दीदी। :)
Deleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति | हार्दिक आभार हम हिंदी चिट्ठाकार हैं
ReplyDeleteधन्यवाद शिखा दीदी। :)
Deleteएक मीठी सी और प्यारी सी कविता ।
ReplyDeleteशुक्रिया इमरान भाई! :)
Deleteअनुपम भाव संयोजन ... बहुत बढिया।
ReplyDeleteधन्यवाद सीमा दीदी! आपकी नियमित पठन से काफी प्रोत्साहन मिलता है। :)
Deleteकोमल भाव लिये सुंदर कविता.
ReplyDeleteधन्यवाद :)
Deleteबहुत सुन्दर मधुरेश...
ReplyDeleteबहुत कोमल सी ,प्यारी सी,गुनगुनाती सी रचना....
सस्नेह
अनु
Thanks Anu Di! :)
Deleteबहुत खूब
ReplyDeleteसादर
धन्यवाद यशवंत भाई! :)
Deleteकोमल भावना को रेशमी शब्दों का जामा बहुत अच्छा लगा : सराहनीय प्रस्तुति
ReplyDeleteNew post: कुछ पता नहीं !!!
New post : दो शहीद
आपकी मूल्यवान टिपण्णी का आभार।
Deleteसादर
मधुरेश
I love love love it! Need I say more. Beautiful, I should take hindi lessons from you. It will help me polish my mediocre poetry.
ReplyDeleteThanks for a lovely read.
Oh, I am glad Saru. You are highly motivating. In fact, I too learn from your posts. :)
Delete
ReplyDeleteसुन्दर कविता मधुरेश भाई.
धन्यवाद निहार भाई।
Deleteउत्कृष्ट भाव, बेहतरीन रचना
ReplyDeleteधन्यवाद आपका। :)
Deleteमधुर मधुरेश!! सुन्दर!!
ReplyDeleteसादर धन्यवाद! :)
Deleteजब होते स्वप्न हो विदा विदा,
ReplyDeleteमत होना उनसे जुदा जुदा,
तुम निद्रा-पटल से बाहर आकर
उन्हें साकार खींच खींच लेना,
तुम नेह सींच सींच लेना .... नेह से सम्भव है साथ
शायद नेह से सम्भव है, आकांक्षा तो बस इतनी सी ही है। आपकी मूल्यवान और प्रोत्साहन भरी टिप्पणियों का हार्दिक आभार।
Deleteसादर
मधुरेश
kya baat hai.....
ReplyDelete:)
Deleteजब होते स्वप्न हो विदा विदा,
ReplyDeleteमत होना उनसे जुदा जुदा,
तुम निद्रा-पटल से बाहर आकर
उन्हें साकार खींच खींच लेना,
तुम नेह सींच सींच लेना
वाह !सुंदर पंक्तियाँ .बहुत सुन्दर
Deleteधन्यवाद आपका :)
कोमल भाव लिए सुन्दर पंक्तियाँ..मधुरेश..शुभकामनाएं..
ReplyDeleteधन्यवाद आंटी। आपकी नियमित पठन और टिप्पणियों से काफी प्रोत्साहन मिलता है। :)
Deleteजब होते स्वप्न हो विदा विदा,
ReplyDeleteमत होना उनसे जुदा जुदा,
तुम निद्रा-पटल से बाहर आकर
उन्हें साकार खींच खींच लेना,
तुम नेह सींच सींच लेना।
बहुत खूब ,,,
स्वप्न सहेज कर रखना जरुरी है ...
साभार !
स्वप्न सहेज कर रखना जरुरी है ... :)
Delete✿♥❀♥❁•*¨✿❀❁•*¨✫♥
♥सादर वंदे मातरम् !♥
♥✫¨*•❁❀✿¨*•❁♥❀♥✿
जो नयन तुम्हारे थक-थक जाएं,
और निंदिया हौले-हौले आए,
पलकों के पीछे पलते स्वप्न हों,
तो न आँखें मींच मींच लेना,
तुम नेह सींच सींच लेना
वाह ! वाऽह ! वाऽऽह !
बहुत ख़ूबसूरत !
आदरणीय मधुरेश जी
सुंदर सुखद सकारात्मक गीत है ...
ऐसे ही सुंदर , श्रेष्ठ सृजन होता रहे आपकी कलम से …
नव वर्ष के लिए शुभकामनाएं !
साथ ही हार्दिक मंगलकामनाएं …
लोहड़ी एवं मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर !
राजेन्द्र स्वर्णकार
✿◥◤✿✿◥◤✿◥◤✿✿◥◤✿◥◤✿✿◥◤✿◥◤✿✿◥◤✿
आभार आपका।
Deleteसादर
मधुरेश
utam--**
ReplyDeleteजब होते स्वप्न हो विदा विदा,
ReplyDeleteमत होना उनसे जुदा जुदा,
तुम निद्रा-पटल से बाहर आकर
उन्हें साकार खींच खींच लेना,
तुम नेह सींच सींच लेना
वाह ... बहुत ही अनुपम भाव संयोजित किये हैं आपने
ReplyDeleteआपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 17-01-2013 को यहाँ भी है
.... आज की नयी पुरानी हलचल में ....
.. आज की नयी पुरानी हलचल में ...फिर नया दिनमान आया ......संगीता स्वरूप
. .
रचना को हलचल पे लिंक करने का आभार।
Deleteसादर
मधुरेश
सुन्दर पंक्तियाँ..
ReplyDeleteब्लॉग पर आने का शुक्रिया आपका। :)
Deleteबहुत उम्दा कविता भाई मधुरेश जी |मिलकर अच्छा लगा |
ReplyDelete
Deleteजी शुक्रिया :)
हमें भी अच्छा लगा ब्लॉग के माध्यम से आपसे परिचय होनेपर :)
Deleteकोमल....फूलों की पंखुड़ियों जैसी रचना...बहुत खूबसूरत!
ReplyDelete~सादर!!!
इस प्यारी टिपण्णी के लिए शुक्रिया दीदी। :)
Deleteसादर
मधुरेश
भाव मय ... लाजवाब अभिव्यक्ति ...
ReplyDeleteधन्यवाद अंकल। मधुशाला पे आपकी टिप्पणियों से बहुत प्रेरणा मिलती है ! :)
Deleteसादर
मधुरेश
आह ..कितना सुन्दर . अरसे बाद कुछ अच्छा पढ़ा आज. ऐसी रचनाएँ ब्लोग्स पर ही पढ़ने को मिलती हैं और जब तक आप जैसे लोग लिखने वाले हैं हिंदी जीवित रहेगी.
ReplyDeleteआभार संगीता जी की हलचल का यहाँ तक पहुँचाने के लिए.
धन्यवाद शिखा दीदी। आप हमारी ब्लॉग पर आयीं, और आपको रचना अछि लगी, यही मेरे लिए बहुत ख़ुशी की बात है।
Deleteसादर
मधुरेश
बहुत अच्छी प्रस्तुति....बहुत बहुत बधाई...
ReplyDeleteधन्यवाद। :)
Deleteसादर
मधुरेश
जब नयन तुम्हारे थक जाएँ ...
ReplyDeleteवाह..
ख़ुशी है कि आपको पढना अच्छा लगा। :)
Deleteसादर
मधुरेश
धन्यवाद! :)
ReplyDeleteवाह...सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
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