Sunday, January 13, 2013

तुम नेह सींच सींच लेना



जो नयन तुम्हारे थक-थक जाएं,
और निंदिया हौले-हौले आए,
पलकों के पीछे पलते स्वप्न हों, 
तो न आँखें मींच मींच लेना,
तुम नेह सींच सींच लेना। 

जिनमें मधुर सरिता हो बहती,
स्नेहिल स्वर्ण कणिका हो रहती,  
उन स्वप्नों को लेना तुम थाम,  
और बांहों में भींच भींच लेना, 
तुम नेह सींच सींच लेना। 

जब होते स्वप्न हो विदा विदा,
मत होना उनसे जुदा जुदा,
तुम निद्रा-पटल से बाहर आकर 
उन्हें साकार खींच खींच लेना, 
तुम नेह सींच सींच लेना।

Dreams are inner expressions,
Dreams are the life's inspirations,
Dreams are where the reality is seeded
Dreams are where the love sprouts
Dream love, dream cheers,
Dream for self, dream for peers,
Dream and dream, until you realize
Dream and never let your dream die.


Picture Courtesy: http://www.hindi2tech.com/2010/09/blog-post_17.html

64 comments:

  1. इश्वर आपके अनुनय विनय को स्वीकार करे ...बहुत हीं प्यारी रचना ...

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    1. धन्यवाद स्वाति जी। :)

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  2. बहुत प्यारे और कोमल भावों को लिए सुंदर रचना

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    1. धन्यवाद संगीता आंटी। :)

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  3. तुम नेह सींच सींच लेना।

    bahut sundar:-)

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  4. बहुत प्यारे भाव

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    1. धन्यवाद वंदना दीदी। :)

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  5. बहुत सुन्दर प्रस्तुति | हार्दिक आभार हम हिंदी चिट्ठाकार हैं

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    1. धन्यवाद शिखा दीदी। :)

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  6. एक मीठी सी और प्यारी सी कविता ।

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    1. शुक्रिया इमरान भाई! :)

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  7. अनुपम भाव संयोजन ... बहुत बढिया।

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    1. धन्यवाद सीमा दीदी! आपकी नियमित पठन से काफी प्रोत्साहन मिलता है। :)

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  8. कोमल भाव लिये सुंदर कविता.

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  9. बहुत सुन्दर मधुरेश...
    बहुत कोमल सी ,प्यारी सी,गुनगुनाती सी रचना....

    सस्नेह
    अनु

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    1. धन्यवाद यशवंत भाई! :)

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  11. कोमल भावना को रेशमी शब्दों का जामा बहुत अच्छा लगा : सराहनीय प्रस्तुति
    New post: कुछ पता नहीं !!!
    New post : दो शहीद

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    1. आपकी मूल्यवान टिपण्णी का आभार।
      सादर
      मधुरेश

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  12. I love love love it! Need I say more. Beautiful, I should take hindi lessons from you. It will help me polish my mediocre poetry.

    Thanks for a lovely read.

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    1. Oh, I am glad Saru. You are highly motivating. In fact, I too learn from your posts. :)

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  13. सुन्दर कविता मधुरेश भाई.

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    1. धन्यवाद निहार भाई।

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  14. उत्कृष्ट भाव, बेहतरीन रचना

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  15. मधुर मधुरेश!! सुन्दर!!

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  16. जब होते स्वप्न हो विदा विदा,
    मत होना उनसे जुदा जुदा,
    तुम निद्रा-पटल से बाहर आकर
    उन्हें साकार खींच खींच लेना,
    तुम नेह सींच सींच लेना .... नेह से सम्भव है साथ

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    1. शायद नेह से सम्भव है, आकांक्षा तो बस इतनी सी ही है। आपकी मूल्यवान और प्रोत्साहन भरी टिप्पणियों का हार्दिक आभार।
      सादर
      मधुरेश

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  17. जब होते स्वप्न हो विदा विदा,
    मत होना उनसे जुदा जुदा,
    तुम निद्रा-पटल से बाहर आकर
    उन्हें साकार खींच खींच लेना,
    तुम नेह सींच सींच लेना
    वाह !सुंदर पंक्तियाँ .बहुत सुन्दर

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  18. कोमल भाव लिए सुन्दर पंक्तियाँ..मधुरेश..शुभकामनाएं..

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    1. धन्यवाद आंटी। आपकी नियमित पठन और टिप्पणियों से काफी प्रोत्साहन मिलता है। :)

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  19. जब होते स्वप्न हो विदा विदा,
    मत होना उनसे जुदा जुदा,
    तुम निद्रा-पटल से बाहर आकर
    उन्हें साकार खींच खींच लेना,
    तुम नेह सींच सींच लेना।

    बहुत खूब ,,,
    स्वप्न सहेज कर रखना जरुरी है ...
    साभार !

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    1. स्वप्न सहेज कर रखना जरुरी है ... :)

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  20. ✿♥❀♥❁•*¨✿❀❁•*¨✫♥
    ♥सादर वंदे मातरम् !♥
    ♥✫¨*•❁❀✿¨*•❁♥❀♥✿


    जो नयन तुम्हारे थक-थक जाएं,
    और निंदिया हौले-हौले आए,
    पलकों के पीछे पलते स्वप्न हों,
    तो न आँखें मींच मींच लेना,
    तुम नेह सींच सींच लेना

    वाह ! वाऽह ! वाऽऽह !
    बहुत ख़ूबसूरत !
    आदरणीय मधुरेश जी

    सुंदर सुखद सकारात्मक गीत है ...
    ऐसे ही सुंदर , श्रेष्ठ सृजन होता रहे आपकी कलम से …


    नव वर्ष के लिए शुभकामनाएं !
    साथ ही हार्दिक मंगलकामनाएं …
    लोहड़ी एवं मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर !

    राजेन्द्र स्वर्णकार
    ✿◥◤✿✿◥◤✿◥◤✿✿◥◤✿◥◤✿✿◥◤✿◥◤✿✿◥◤✿

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    1. आभार आपका।
      सादर
      मधुरेश

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  21. जब होते स्वप्न हो विदा विदा,
    मत होना उनसे जुदा जुदा,
    तुम निद्रा-पटल से बाहर आकर
    उन्हें साकार खींच खींच लेना,
    तुम नेह सींच सींच लेना
    वाह ... बहुत ही अनुपम भाव संयोजित किये हैं आपने

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  22. Replies
    1. रचना को हलचल पे लिंक करने का आभार।
      सादर
      मधुरेश

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  23. सुन्दर पंक्तियाँ..

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    1. ब्लॉग पर आने का शुक्रिया आपका। :)

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  24. बहुत उम्दा कविता भाई मधुरेश जी |मिलकर अच्छा लगा |

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    1. जी शुक्रिया :)

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    2. हमें भी अच्छा लगा ब्लॉग के माध्यम से आपसे परिचय होनेपर :)

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  25. कोमल....फूलों की पंखुड़ियों जैसी रचना...बहुत खूबसूरत!
    ~सादर!!!

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    1. इस प्यारी टिपण्णी के लिए शुक्रिया दीदी। :)
      सादर
      मधुरेश

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  26. भाव मय ... लाजवाब अभिव्यक्ति ...

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    1. धन्यवाद अंकल। मधुशाला पे आपकी टिप्पणियों से बहुत प्रेरणा मिलती है ! :)
      सादर
      मधुरेश

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  27. आह ..कितना सुन्दर . अरसे बाद कुछ अच्छा पढ़ा आज. ऐसी रचनाएँ ब्लोग्स पर ही पढ़ने को मिलती हैं और जब तक आप जैसे लोग लिखने वाले हैं हिंदी जीवित रहेगी.
    आभार संगीता जी की हलचल का यहाँ तक पहुँचाने के लिए.

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    1. धन्यवाद शिखा दीदी। आप हमारी ब्लॉग पर आयीं, और आपको रचना अछि लगी, यही मेरे लिए बहुत ख़ुशी की बात है।
      सादर
      मधुरेश

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  28. बहुत अच्छी प्रस्तुति....बहुत बहुत बधाई...

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    1. धन्यवाद। :)
      सादर
      मधुरेश

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  29. जब नयन तुम्हारे थक जाएँ ...
    वाह..

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    1. ख़ुशी है कि आपको पढना अच्छा लगा। :)
      सादर
      मधुरेश

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  30. वाह...सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...

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  31. Ever since i discovered about wizardcyprushacker@gmail.com  i have peace of mind when it comes to my spouse, because this hacker has given me the master key to my wife phones and laptop. God bless you at all times wizardcyprus. if you guys need master keys to your spouse phone or children phone just contact this hacker or whatsapp him:+1 (424) 209-7204

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