जो क्षण आया है, जाएगा,
क्या सोचो तुम रह जाएगा
इक तुम होगे, अतीत होगा,
बाकी सब कुछ बह जाएगा।
यह जान प्रिये अनजान बनो,
अब छोड़ो हठ, नादान बनो,
हाथों में बस इक प्याला हो,
मन में हो मधु, मधुशाला हो।
मधुशाला वो जो रस बरसे,
इक सुन्दर सा स्वरूप निखरे,
हों पुष्प जहाँ पल्लवित सदा,
नेह, प्रेम के भाव बिखरे.
मधुशाला हो अतीत को भूलना,
औ' भविष्य की चिंता न करना,
ये हो अविरत उत्सव का विधान,
जो है वर्तमान, उसी का गुणगान.
Picture Courtesy:Priyadarshi Ranjan
मधुशाला है अतीत को भूलना,
ReplyDeleteऔ' भविष्य की चिंता ना करना,
ये है अविरत उत्सव का विधान,
जो है वर्तमान, उसी का गुणगान.
मधुशाला का सार्थक विवेचन
सुन्दर प्रस्तुति ।
ReplyDeleteनवसंवत्सर की शुभकामनायें ।।
very nice....though difficult to understand....
ReplyDeleteमर्म समझने में मशक्कत करनी पड़ेगी...
:-)
last lines are awesome.
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