Friday, June 8, 2012

वनवास १: स्वनिर्णित



वनवास कठिन होता है.
और होता है कुछ ज़्यादा ही
जब स्वनिर्णित होता है.

क्योंकि किसी ने कहा अगर
वनवास पे जाने को,
तो तुम चले भी जाओगे.
धर्म की, कर्त्तव्य की
मजबूरियों पर
तोहमत लगाओगे.
लेकिन जब
बिना किसी आग्रह
स्वयं ही जाना हो,
तो मन में कैकेयी, मंथरा
या फिर कौरव, शकुनी
कहाँ से लाओगे?

किसी ने बाँध दी
सीमायें अगर 
तो चुप रह जाना भी
सहज होता है.
जो स्वयं को स्वयं ही
बांधना पड़े,
तो वो असीम बल,
वो आत्म-विश्वास
कहाँ से लाओगे?

वनवास कठिन होता है.
और होता है कुछ ज़्यादा ही
जब स्वनिर्णित होता है.

Picture Courtesy: 'Embrace' by Sutapa Roy

26 comments:

  1. हमको मन की शक्ति देना ...मन विजय करे ...दूसरों की जय से पहले खुद को जय करें ...

    बहुत सुन्दर लिखा है ...मन पर जब इस तरह काबू पा लें तो राह स्पष्ट दिखाती है ....सारी धुंध छंट जाती है ....!!
    बहुत सुन्दर रचना .....
    शुभकामनायें ...

    ReplyDelete
  2. जो स्वयं को स्वयं ही
    बांधना पड़े,
    तो वो असीम बल,
    वो आत्म-विश्वास
    कहाँ से लाओगे?
    ------------
    वनवास कठिन होता है.
    और होता है कुछ ज़्यादा ही
    जब स्वनिर्णित होता है.

    अर्थपूर्ण....सशक्त अभिव्यक्ति
    स्वयं से जूझना सबसे कठिन है....

    ReplyDelete
  3. तो वो असीम बल,
    वो आत्म-विश्वास
    कहाँ से लाओगे?
    जब स्वनिर्णित होता है
    तब स्व प्रबल होता है ....
    बहुतायत में चिंता क्यों होता है ....

    ReplyDelete
  4. स्वयं पर संयम लगाना सच ही कठिन होता है .... सुन्दर प्रस्तुति

    ReplyDelete
  5. जब
    बिना किसी आग्रह
    स्वयं ही जाना हो,
    तो मन में कैकेयी, मंथरा
    या फिर कौरव, शकुनी
    कहाँ से लाओगे?...स्व निर्णय का वनवास खुद का ही आकलन करता है और आयाम ढूंढता है

    ReplyDelete
  6. किसी ने बाँध दी
    सीमायें अगर
    तो चुप रह जाना भी
    सहज होता है.
    जो स्वयं को स्वयं ही
    बांधना पड़े,
    तो वो असीम बल,
    वो आत्म-विश्वास
    कहाँ से लाओगे?....बहुत सुन्दर और गहन भाव

    ReplyDelete
  7. बहुत अच्छी प्रस्तुति संवेदनशील हृदयस्पर्शी ....भावों को बहुत गहराई से लिखा है

    ReplyDelete
  8. बहुत ही सुन्दर व सत्य बात कही है है मधुरेश... सही में स्वयम को बंधन में बांधना बहुत कठिन होता है... सार्थक व भावपूर्ण रचना!

    ReplyDelete
  9. जब
    बिना किसी आग्रह
    स्वयं ही जाना हो,
    तो मन में कैकेयी, मंथरा
    या फिर कौरव, शकुनी
    कहाँ से लाओगे?.

    स्वनिर्मित वनवास में आत्मसंयम ही अहम् होता है...सुंदर रचना !!

    ReplyDelete
  10. वनवास कठिन होता है.
    और होता है कुछ ज़्यादा ही
    जब स्वनिर्णित होता है.

    सुंदर अभिव्यक्ति ,,,,,

    MY RESENT POST,,,,,काव्यान्जलि ...: स्वागत गीत,,,,,

    ReplyDelete
  11. बहूत हि बेहतरीन है मन पर संयम हो जाये तो
    बात हि क्या....
    बहूत हि सुंदर और गहन भावाभिव्यक्ती....

    ReplyDelete
  12. कल 10/06/2012 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

    ReplyDelete
  13. मैरा कमेन्ट कहाँ गया??
    spam मे ढूँढिए please...

    ReplyDelete
  14. बहुत ही गहरे भावो की अभिवयक्ति......

    ReplyDelete
  15. वनवास कठिन होता है.
    और होता है कुछ ज़्यादा ही
    जब स्वनिर्णित होता है.
    ......क्योंकि तब.. दोषारोपण की दुनाली रखने के लिए कोई कन्धा मयस्सर नहीं होता .....अपने निर्णय का बोझ खुद ही ढोना होता है ....

    ReplyDelete
  16. बेहतरीन प्रस्‍तुति। मेरे नए पोस्ट पर आप आमंत्रित हैं । धन्यवाद ।

    ReplyDelete
  17. True, when things are forced on you by duty, then it is easier but when you have to take an initiative on your own, many emotional and moral complications come. Very profound.

    ReplyDelete
  18. वनवास कठिन होता है.
    और होता है कुछ ज़्यादा ही
    जब स्वनिर्णित होता है........
    उत्तम....अति उत्तम
    सादर

    ReplyDelete
  19. किसी ने बाँध दी
    सीमायें अगर
    तो चुप रह जाना भी
    सहज होता है.
    जो स्वयं को स्वयं ही
    बांधना पड़े,
    तो वो असीम बल,
    वो आत्म-विश्वास
    कहाँ से लाओगे?

    सुंदर अभिव्यक्ति.

    ReplyDelete
  20. बहुत सुन्दर !

    ReplyDelete
  21. सुन्दर सटीक अभिव्यक्ति

    ReplyDelete
  22. बहुत बड़ी बात कह दी मधुरेश...
    जब स्वनिर्णित होता है,तब और कठिन होता है वनवास...........

    आत्मन्थन किया जाए................

    ReplyDelete
  23. वनवास कठिन होता है.
    और होता है कुछ ज़्यादा ही
    जब स्वनिर्णित होता है.

    बहुत ही सुन्दर लगी पोस्ट सच है स्वयं को बंधना बहुत कठिन है ।

    ReplyDelete
  24. स्वनिर्णय में कठिनाई नहीं होनी चाहिए ...
    आभार सुंदर रचना के लिए !

    ReplyDelete