मत रोको, बहने दो अश्रुधार
है अंतर-निहित आत्म-उद्धार
ये विरह विलय की आगत है
करो स्वागत ले उर प्रेम अपार.
मत रोको, बहने दो अश्रुधार
क्षोभ नहीं, अभिनन्दन का
क्षण है ये जीवन-वंदन का
सम-भाव हो खोने-पाने में
यही है समुचित श्रेष्ठ विचार
मत रोको, बहने दो अश्रुधार
देखो जो बहे- बस पानी हो
दुःख की एकाध कहानी हो
ना नयनों से बह जाये कहीं
स्वर्णिम स्वप्नों का अम्बार
मत रोको, बहने दो अश्रुधार
Picture Courtesy: Priyadarshi Ranjan
जीवन मे भी क्रम से ही चलना पड़ता है ...बस आस नहीं खोना है ...
ReplyDeleteये विरह विलय की आगत है
करो स्वागत ले उर प्रेम अपार.
मत रोको, बहने दो अश्रुधार..
बहुत सुंदर रचना ...
वाह! अति सुन्दर अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteक्षोभ नहीं, अभिनन्दन का
ReplyDeleteक्षण है ये जीवन-वंदन का
सम-भाव हो खोने-पाने में
यही है समुचित श्रेष्ठ विचार
मत रोको, बहने दो अश्रुधार... बहुत बढ़िया
madhuram prerak pravaah
ReplyDeleteसपने न बहें आँसुओं संग................
ReplyDeleteबहुत सुन्दर मधुरेश
ये विरह विलय की आगत है
ReplyDeleteकरो स्वागत ले उर प्रेम अपार.
मत रोको, बहने दो अश्रुधार.......वाह:बहुत खुबसूरत रचना...मधुरेश.सस्नेह.
जीवन का यही क्रम है ... बहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteअति सुन्दर रचना...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर:-)
स्वर्णिम स्वप्नों का अम्बार
ReplyDeleteमत रोको, बहने दो अश्रुधार,,,,,
बहुत बेहतरीन सुंदर रचना,,,,,मधुरेश जी
RECENT POST ,,,,पर याद छोड़ जायेगें,,,,,
यही है जीवन …………सुन्दर भावाव्यक्ति।
ReplyDeleteदेखो जो बहे- बस पानी हो
ReplyDeleteदुःख की एकाध कहानी हो
ना नयनों से बह जाये कहीं
स्वर्णिम स्वप्नों का अम्बार
बहुत खूब .... हमेशा मनोबल ऐसे ही रहे .... !!
Sundar rachna madhuresh ji....wese bhi jo beh jaye aasuon sang...wo sapne hi kya....
ReplyDeletebahut sundar
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया
ReplyDeleteसादर
अति सुन्दर.....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर, बधाई.
ReplyDeleteना नयनों से बह जाये कहीं
ReplyDeleteस्वर्णिम स्वप्नों का अम्बार बहुत सुन्दर है
क्षोभ नहीं, अभिनन्दन का
ReplyDeleteक्षण है ये जीवन-वंदन का
सम-भाव हो खोने-पाने में
यही है समुचित श्रेष्ठ विचार
मत रोको, बहने दो अश्रुधार
बस यही सम भाव ही नहीं रह पाता इंसान का .... जानते हुवे भी की ये श्रेष्ट है ... लाजवाब कायात्मक रचना ...
सुंदर रचना!
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