युवा आज का
कर्मी है, साक्षी भी,
युग-परिवर्तन का.युवा आज का
सामंजस्य है
पाश्चात्य औ' पुरातन का.
युवा आज का
करता है विरोध,
जो अतीत ने थोपे थे
उन कुरीतियों का,
कुप्रथाओं का.
दहेज का, अस्पृश्यता का.
युवा आज का
कन्धा है वो
जो मिलकर चलता है,
स्त्री का, पुरुष का.
करता है बात
समान अवसरों का,
समान अधिकारों का.
सम्बल दो उसे,
निर्बलता
न गिनाओ,
उसका बोझ भारी है,फिर भी बढ़ रहा है आगे.
युवा आज का!
Picture Courtesy: http://gogoihimanshu.blogspot.com/2011/03/indian-youth-and-politics-of-india.html
parivartan yuva kadmon mein hi hai
ReplyDeleteआपने बहुत ही बढ़िया लिखा है मधुरेश...आज के युवाओं का आत्मविश्वास मुझे बहुत प्रसंशनीय लगता है...आप लोग आगे बढ़ते रहें...हमारी शुभकामनाएँ आपके साथ हैं.
ReplyDeleteसम्बल दो उसे,
ReplyDeleteनिर्बलता न गिनाओ,
उसका बोझ भारी है,
फिर भी बढ़ रहा है आगे.
युवा आज का!
बहुत बढ़िया लिखा है ....आज का युवा वाकई ...जागरूक भी है और एक अलग सोच लिए भी .....खुले विचारों से अग्रसर होता हुआ .....
इश्वर पथ प्रशस्त करें ...
सम्बल दो उसे,
ReplyDeleteनिर्बलता न गिनाओ,
उसका बोझ भारी है,
बिलकुल सही कहा। शुभकामनायें
अर्थपूर्ण पंक्तियाँ...सकारात्मक सोच लिए
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति |
ReplyDeleteआभार ||
सम्बल दो उसे,
ReplyDeleteनिर्बलता न गिनाओ,
उसका बोझ भारी है,
फिर भी बढ़ रहा है आगे.
युवा आज का!
हमें पूरा विश्वास है , कदम डगमगा भी नहीं सकते ....
बोझ चाहे जितना भारी हो ,इरादे बहुत मजबूत है ....
आज का युवा दृढ़ निश्चयी है.........
ReplyDeleteजितने भी गिनाओ निर्बलता......
वो आगे आगे ही चलता...........
जाती पीढ़ी का संबल होती है आती पीढ़ी.........
शुभकामनाएँ मधुरेश.
युवाओं के कंधों पर ही परिवर्तन की नींव राखी है ...सुंदर प्रस्तुति करण
ReplyDeleteबहुत सुन्दर लिखा है मधुरेशजी आपने... आत्मविश्वास से परिपूर्ण भाव ... शुभकामनायें
ReplyDeleteसम्बल दो उसे,
ReplyDeleteनिर्बलता न गिनाओ,
उसका बोझ भारी है,
फिर भी बढ़ रहा है आगे.
युवा आज का!
एक बार फिर बहुत सुंदर रचना,..अच्छी प्रस्तुति
WELCOME TO MY RECENT POST काव्यान्जलि ...: बेटी,,,,,
सम्बल दो उसे,
ReplyDeleteनिर्बलता न गिनाओ,
उसका बोझ भारी है,
फिर भी बढ़ रहा है आगे.
युवा आज का!
.....बिलकुल सच...आज के युवा के कन्धों पर ही कल का भार है...
निर्बलता न गिनाओ,
ReplyDeleteउसका बोझ भारी है,
फिर भी बढ़ रहा है आगे.
युवा आज का!
bahut hi badiya yar,kamal ka likhte ho
आखिर असली जरुरतमंद कौन है
ReplyDeleteभगवन जो खा नही सकते या वो जिनके पास खाने को नही है
एक नज़र हमारे ब्लॉग पर भी
http://blondmedia.blogspot.in/2012/05/blog-post_16.html
सकारात्मक सोच लिए भाव पूर्ण अभिव्यक्ति..
ReplyDeleteवाह ...बहुत ही बढिया प्रस्तुति ... शुभकामनाएं मधुरेश आपको
ReplyDeleteअत्यंत सुन्दर अभिव्यक्ति है.
ReplyDeleteबात तो आपकी सही है मगर यह दुनिया है ही ऐसी क्या कीजिये कर्म कोई नहीं देखता सब नतीजा ही देखा करते हैं क्यूंकि लोगों को तारीफ करने से ज्यादा आसान लगता है दोष निकालना सुंदर सार्थक भावपूर्ण अभिव्यक्ति....
ReplyDeleteBilkul sahi h yuva aj ka...great post madhuresh.... :)
ReplyDeleteVery profound and depicts well the state of youth. Sorry, I did't get the meaning of 'पाश्चात्य औ'
ReplyDeleteThanks Saru :)
Deleteपाश्चात्य औ' पुरातन is basically to contrast the Western thinking and our Oriental thinking... Knowing that development and modernization are important, it is subtly important to integrate and balance it with the cultural values that we have.
Oh, thats a beautiful and meaningful phrase. I must read you more often. Thanks for this...:)
Deleteआपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 17 -05-2012 को यहाँ भी है
ReplyDelete.... आज की नयी पुरानी हलचल में ....ज़िंदगी मासूम ही सही .
आज के युवा को समझना बहुत ज़रूरी है, और उससे भी ज़्यादा ज़रूरी है कि उसके द्वारा ही उसे समझना चाहिए। सिर्फ़ बाहर से उसकी आलोचना कर देते हैं आज लोग।
ReplyDeleteइस प्रतियोगिता और जद्दो-जहद वाले युग में युवा सतत संघर्षशील है। आवश्यकता है उसके संघर्ष को समर्थन, विश्वास और हौसला आफ़ज़ाई की।
बहुत सही।
ReplyDeleteसादर
सहमत...युवाओं से बहुत कुछ सीखा जा सकता है.एक सकारात्मक अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteसम्बल दो उसे,
ReplyDeleteनिर्बलता न गिनाओ,
यही मूल मंत्र है।
सुंदर रचना... हार्दिक बधाई।
मधुरेश जी,
ReplyDeleteपूर्व में हुई चर्चा के अनुसार आपके ब्लॉग से कुछ लेख को अपने दैनिक समचार पत्र भास्कर भूमि में प्रकाशित किया है। अखबार की प्रतियां आप तक भेजना चाहते है। आप अपने घर का पता भेजने की कृपा करे.......bhaskar.bhumi.rjn@gmail.com
भास्कर भूमि का ई पेपर देखें......www.bhaskarbhumi.com
Dhanyawaad aapka :)
Deleteयुवा आज का
ReplyDeleteकरता है विरोध,
जो अतीत ने थोपे थे
उन कुरीतियों का,
कुप्रथाओं का.
दहेज का, अस्पृश्यता का.
युवा आज का
कन्धा है वो
जो मिलकर चलता है,
स्त्री का, पुरुष का.
करता है बात
समान अवसरों का,
समान अधिकारों का.......सही बात को सुन्दर तरीके से कहा,आपने.
thats a tough one :)
ReplyDeletetook me a lot of concentration to read this poem.
profound
:)
Deleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति। मेरी कामना है कि आप अहर्निश सृजनरत रहें । मेरे नए पोस्ट अमीर खुसरो पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया रचना .....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर मधुरेश भाई.....उसका बोझ भारी है फ़िर भी वो चल रहा है..
ReplyDeleteये महान दृश्य है
चल रहा मनुष्य है
स्वेद, अश्रु,रक्त से लतपथ,लतपथ
अग्निपथ , अग्निपथ, अग्निपथ
आपकी रचना पढ़ के Robert Bridges की कविता याद आ गयी
o youth! whose hope is high
who dost to truth aspire
either thou live or die
o look not back nor tire
ऐसे ही लिखते रहें आप ....बहुत सुन्दर
बहुत ही बेहतरीन रचना....
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग
विचार बोध पर आपका हार्दिक स्वागत है।
Beautiful poem....and I do agree that today's generation is more patriotic and religious.....and yes..active like u and me :P
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