तज तुच्छ विचार, जगो तुम मन
हो सोच समग्र, सार्थक जीवन.
प्रतीक्षा में देव-मंडली खड़ी,
हैं उन्हें तुमसे आशाएं बड़ी.
होकर निर्जीव धर्म-पथ पर
अगणित हैं आत्माएं पड़ी,
उनमें जीवन संचार करोगे
ठान लो बस अब ये तुम मन.
तज तुच्छ विचार, जगो तुम मन
पोंछना उनके अश्रुधार और
मुख पर उनके मुस्कान लाना,
थामकर वेदना, पीड़ाओं को,
एक मधुर बंसी तुम बजाना.
पीड़ा-दुःख से कातर ना होगे
दृढ-निश्चयी हो आगे बढ़ो मन
तज तुच्छ विचार, जगो तुम मन
परोपकार, सेवा, साधना में
स्वयं को समाहित रखो मन,
अनुराग-सिक्त अनाहात को
रिपु-पाशों से रहित रखो मन.
एक नव-नूतन धरा का
अब तो सृजन करो तुम मन
तज तुच्छ विचार, जगो तुम मन
हो सोच समग्र, सार्थक जीवन.
This is a 'Prabhaat Samgiita', originally written in Bengali by Shrii Prabhat Ranjan Sarkar. Being one of my most favorite and inspiring song, I have tried to write the same in Hindi.
Here is the song in Bengali:
Man_ke_kono_chhoto_kaje
And here is the original lyrics:
Man_ke_kono
Picture Courtesy: Priyadarshi Ranjan
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English translation:
In any low thought
I will not allow my mind to fall.
No, no, I won't do petty, selfish, small things.
I'll seat my mind in the effulgence of meditation,
I'll create a new world.
This world and the celestial realms
are waiting for me
in breathless expectation.
I'll fulfill their hopes.
I'll cause the stream of life to flow.
Removing tears, I'll bring smiles.
Crying will cease and flutes will play.
On this earth will descend auspicious days.
Sorrows and pains will torment me no more.
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Original in Bangla:
MAN KE KONO CHOT́O KÁJEI,
NÁVTE DOBO NÁ
NÁ, NA, NA, NÁVTE DOBO NÁ
DHYÁNER ÁLOY BASIYE DOBO,
KARABO NOTUN DHARÁ RACANÁ
NÁ, NA, NA, NÁVTE DOBO NÁ
MAN KE KONO CHOT́O KÁJEI,
NÁVTE DOBO NÁ
BHULOK DYULOK ÁMÁRI ÁSHE,
CEYE ÁCHE RUDDHA ÁVESHE
TÁDER ÁSHÁ PÚRŃA KARE
BAHÁBO PRÁŃER JHARAŃÁ
NÁ, NA, NA, NÁVATE DOBO NÁ
MAN KE KONO CHOT́O KÁJEI
NÁVTE DOBO NÁ
ASHRU MUCHE ÁNÁBO HÁSI
KÁNNÁ SARE BÁJABE GO BÁNSHII
MÁT́IR PARE ÁSABE SUDIN
KLESH JÁTANÁ KÁRO ROVE NÁ
NÁ, NÁ, NÁ, NÁVTE DOBO NÁ
MAN KE KONO CHOT́O KÁJEI
NÁVTE DOBO NÁ
(By Shrii Prabhat Ranjan Sarkar)
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एक नव-नूतन धरा का
ReplyDeleteअब तो तुम सृजन करो मन
तुच्छ विचारों का अब त्याग करो मन.
अनुवाद में भाव को बहुत अच्छे से पकड़ा है...अति सुंदर!
सुन्दर रचना...
ReplyDeleteअनुवाद के साथ सम्पूर्ण न्याय किया है आपने...
बधाई..
पोंछना उनके अश्रुधार को,
ReplyDeleteमुख पर उनके मुस्कान लाना,
थामकर वेदना, पीड़ाओं को,
एक मधुर बंसी तुम बजाना.
पीड़ा-दुःख से कातर ना होगे
दृढ-निश्चयी हो आगे बढ़ो मन
तुच्छ विचारों का अब त्याग करो मन.
अनुवाद में भी मौलिकता(जैसे तुम्हारी ही रचना हो)की झलक है.... !! आभार...... :)
लग रहा है ,आज के हालातों के लिए सटीक रचना ,उस समय लिखी गई हो..... !!
बहुत ही अच्छी सार्थक सन्देश देती रचना है...
ReplyDeleteसार्थक प्रयास......:-)
सुंदर रचना ॥और सटीक अनुवाद ,,, आभार
ReplyDeleteथामकर वेदना, पीड़ाओं को,
ReplyDeleteएक मधुर बंसी तुम बजाना.
पीड़ा-दुःख से कातर ना होगे
दृढ-निश्चयी हो आगे बढ़ो मन
तुच्छ विचारों का अब त्याग करो मन.... और मंजिल को बढ़ो तुम
.....अनुवाद सफल
सुन्दर पोस्ट।
ReplyDeleteप्रभावशाली प्रेरक रचना कुछ नया सीखने को मिला..
ReplyDeleteAAPKEE KAVITA KE LIYE AAPKO BADHAAEE .
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया।
ReplyDeleteसादर
कर सोच बड़ी, करो सार्थक ये जीवन.
ReplyDeleteबहुत उम्दा .... सुंदर बात कही
बहुत अच्छा अनुवाद किया आपने ....
ReplyDeleteलागता है आपकी हिंदी और बंगला में भी पूरी पकड़ है ....
मैंने भी कुछ असमिया से अनुवाद किया है पर इतना अच्छा नहीं कर पति ..अलबत्ता पंजाबी से ज्यादा बेहतर कर लेती हूँ .....
बहुत अच्छा अनुवाद किया आपने ....
ReplyDeleteलागता है आपकी हिंदी और बंगला में भी पूरी पकड़ है ....
मैंने भी कुछ असमिया से अनुवाद किया है पर इतना अच्छा नहीं कर पति ..अलबत्ता पंजाबी से ज्यादा बेहतर कर लेती हूँ .....
परोपकार, सेवा, साधना में
ReplyDeleteस्वयं को समाहित रखो मन,
अनुराग-सिक्त अनाहात को
रिपु-पाशों से रहित रखो मन.
प्रेरक विचारों से परिपूर्ण बहुत अच्छी कविता।
आज 21/02/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर (विभा रानी श्रीवास्तव जी की प्रस्तुति में) लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
आभार यशवंत जी!
Deleteवाह बहुत सुन्दर ऐसे ही लिखते रहो शुभकामनायें |
ReplyDeleteMadhuresh ji
ReplyDeletebahut sundar kavita
mera ek aur blog bhi hain..
httpp://kisseaurkahaniyonkiduniya.blogspot.com
सुन्दर रचना का सुन्दर अनुवाद....
ReplyDeleteआभार
बहुत खुबसूरत रचना अभिवयक्ति.........
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