माँ-बाप ने पाला-पोसा, बड़ा किया, बच्चों को लायक बनाया- पर आज वो अकेले हो गए हैं.
और करें भी तो क्या करें- बच्चे दूर हैं, व्यस्त हैं, नाम रोशन कर रहे हैं माँ-बाप का,
इन भावनाओं के बीच ये जो अचानक सा अकेलापन आ गया है, उसे "कैसे कहूँ मैं?"
कैसे कहूँ मैं
कि आजकल बहुत उदास रहती हूँ
तू इतनी दूर जो चला गया है,
बस तेरे ख्यालों के पास रहती हूँ.
तेरी ही फ़िक्र में तो
सारा जीवन काटा है
तेरी सारी खुशियों को, ग़मों को
अब तक मैंने ही बांटा है.
तेरी हर हार में संबल के
पुष्प संजोय हैं मैंने,
और हर इक जीत पर
ख़ुशी के आंसू रोये हैं मैंने.
तेरे लिए ही तो अपने कर्म को
सदा तपस्या सम माना,
तू चमके चाँद सितारों सा
तू इतनी दूर जो चला गया है,
बस तेरे ख्यालों के पास रहती हूँ.
तेरी ही फ़िक्र में तो
सारा जीवन काटा है
तेरी सारी खुशियों को, ग़मों को
अब तक मैंने ही बांटा है.
तेरी हर हार में संबल के
पुष्प संजोय हैं मैंने,
और हर इक जीत पर
ख़ुशी के आंसू रोये हैं मैंने.
तेरे लिए ही तो अपने कर्म को
सदा तपस्या सम माना,
तू चमके चाँद सितारों सा
यही सपना बस मन में ठाना.
आज तू चमक रहा है
दूर कहीं आसमान में,
बिलकुल वैसे ही
जगमग चाँद सितारों सा,
और तेरी चमक से
रौशन-रौशन सा है
मेरा भी छोटा-सा जहां
मेरी तपस्या सफल रही
बस यही तसल्ली दिया करती हूँ,
कैसे कहूँ मैं
कि आजकल बहुत उदास रहती हूँ.
तू इतनी दूर जो चला गया है!
दूर कहीं आसमान में,
बिलकुल वैसे ही
जगमग चाँद सितारों सा,
और तेरी चमक से
रौशन-रौशन सा है
मेरा भी छोटा-सा जहां
मेरी तपस्या सफल रही
बस यही तसल्ली दिया करती हूँ,
कैसे कहूँ मैं
कि आजकल बहुत उदास रहती हूँ.
तू इतनी दूर जो चला गया है!
Picture Courtesy: Priyadarshi Ranjan
Dedicated to you Maa :)
Dedicated to you Maa :)
lab milttaa nahee meet
ReplyDeleteto do hee upaay bachte hein
yaa to uske liye duaa karo
yaa phir bhool jaao
jab dil man donon jude ho
udaasee man mein baseraa basaatee hai
मुझे लग रहा है (मैं गलत हूँ या सही नहीं जानती)ये रचना एक माँ के दिल की गहराइयो से निकली भावना है..... !!जो आशीर्वाद बन आन्नदित कर रही है.... !!
ReplyDeleteविभा जी, आपको बिलकुल सही लग रहा है :)
Deleteबच्चे बड़े हो जाते हैं, पढ़-लिख कर बैंगलोर दिल्ली रहने लगते हैं... दूर गाँव में माँ गौरवान्वित तो है, पर अकेली भी है!
यादें आने के बाद कहां जा पाती हैं ?
ReplyDeleteअच्छी कविता।
हृदयस्पर्शी भाव, सुन्दर कविता!
ReplyDeletemesmerising...
ReplyDeleteबेहद मर्मस्पर्शी।
ReplyDeleteमाँ उदास है पर सफलता के लिए खुश है...बहुत सुंदर अभिव्यक्ति!
ReplyDeleteकल 13/02/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
यशवंत जी, सम्मिलित करने के लिए आभार!
Deleteहृदयस्पर्शी रचना!!
ReplyDeleteमाँ के मन बात आपके मन ने समझी..और इतनी खूबसूरती से व्यक्त की ..ये बहुत सुखद लगा...
ReplyDeleteआपको बहुत शुभकामनाएँ..
दिल को छू लेने वाली रचना।
ReplyDeleteहृदयस्पर्शी भाव...... बहुत सुंदर
ReplyDeleteबेहतरीन भाव पूर्ण सार्थक रचना,। मेरे पोस्ट पर आपका स्वागत है ।
ReplyDeletemaa ki utkat abhilasha hoti hai ye..bahut hi bhawpurn rachna....
ReplyDeleteमाँ बच्चों की मुस्कुराहट के लिए उदास अकेली होकर भी खुश रहती है ... उनका सुन्दर उज्जवल भविष्य मायने रखता है . एक माँ के दिल को समझा - वाह
ReplyDeleteबहुत ही अनुपम भावों का संयोजन किया है आपने ..आभार ।
ReplyDeleteमाँ की भावनाओं को सटीक शब्द दिये हैं ... सुंदर रचना
ReplyDeleteह्रदयद्रवित करती सुन्दर मर्मस्पर्शी रचना है....
ReplyDeletevery very nice......haits off to you for this.
ReplyDeleteमाँ बढ़कर कुछ नहीं...बहुत ही मर्मस्पर्शी कविता|
ReplyDeleteअंतर्स्पर्शी खूबसूरत रचना...
ReplyDeletebahut bakhoobi likhaa hai sirji maa k dil ki peeda ko..
ReplyDeletesaari umr maa apne bachhe k liye hi sab kuch karti hai.. wo safalta haasil karne k safar mein usse door ho jaata hai.. khushi bhi uski safalta ki, aur gham bhi hai doori ka..
bahut sundar sirji. bahut sundar.. :)
palchhin-aditya.blogspot.in
लाजबाब प्रस्तुति !
ReplyDeleteबहुत अच्च्छा लगा !
आभार!
Madhuresh ji
ReplyDeleteek maa ki peeda ko aapne bahut khubsurat shabdo main likha hain.aapki rachna dil ko chuu gayi.
har maa yahi chahti hain ki unke bacche khub tarraki kare,bhale hi wo unse saat samandar paar rahe.wo apni peeda ko man main hi rakhti hain aansu apne pallu se poch sada muskurati rehti hain.
baccho ki khatir maa na jaane kitni peeda sehti hain.
dil se nikli apki kavita men behad sashakt bhaw hain.....
ReplyDeleteआपके उत्कृष्ट लेखन के लिए शुभकामनाएं
ReplyDelete