बचपन देखो पीड़ा भरा-सा
दुःख का और लाचारी का
ग़रीबों को बिना इलाज,
शिकार भूख, बीमारी का!
जो पीड़ा उनकी बाँट न पायें,
पढ़-लिखके भी उनके लिए
कुछ अच्छा न कर पायें!
कुछ अच्छा न कर पायें!
एक उद्देश्य यहाँ ये भी हो,
'आरोग्य' प्रसार हम कर पायें,
तृण-तृण से भी कुछ विशेष
भीड़ में हम सब कर जाएँ !
इसीलिए विनती है सबसे
गर्व से हम सब कह पायें!
"So, Stay healthy, save money on medicine and contribute it for the poor!"
Picture Courtesy: http://publichealth.msu.edu/pph/index.php/academic-programs/graduate-certificate/international
आप ज़रूर कुछ अच्छा करेंगे..
ReplyDeleteलिंक पढ़ा...
लिखते रहें.
शुभकामनाएँ.
इतना सही मार्ग है ये कि नियमित लिखना ही होगा ... आप स्वयं भी इसके लिंक्स भेजें , मैं भी सबको दूंगी - और क्या करना चाहिए यह निःसंकोच बताएं
ReplyDeleteविद्या जी, रश्मि जी, बहुत प्रोत्साहन मिला. यही उद्देश्य है, संपर्क करता रहूँगा.
ReplyDeleteआपकी रचना बहुत अच्छी लगी |हृदय के भाव प्रसंशनीय हैं...
ReplyDeleteबेहद सार्थक व सराहनीय ...शुभकामनाओं के साथ बधाई ।
ReplyDeleteबिकुल सहमत हूँ आपसे.....तंदरुस्ती हज़ार नियामत ।
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया सर!
ReplyDeleteसादर
मधुरेश शुभकामनाएं.... :)
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी जानकारी.... आभार....
आप छोटे हो पर काम तो आपने बड़े वाला किया न...जीवन मैं खूब तरक्की कीजिए|
ReplyDeleteapke prayas ko salam.
ReplyDeleteएक सार्थक सन्देश , संवेदनशील रचना
ReplyDeleteइस सार्थक प्रस्तुति के लिए बधाई स्वीकार करें.
ReplyDeleteएक उद्देश्य यहाँ ये भी हो,
ReplyDelete'आरोग्य' प्रसार हम कर पायें,
तृण-तृण से भी कुछ विशेष
भीड़ में हम सब कर जाएँ !
आमीन
सार्थक पहल।।
ReplyDeleteशुभकामनाएं.....
कहते हैं ...Prevention is better then cure ...एक डॉ होने के नाते आपके इस कदम और इस भाव से दिली खुशी हुवी... प्रभु आपको कामयाबी दे|
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर और सार्थक रचना है......
ReplyDeleteसुन्दर सार्थक रचना....
ReplyDeletenice one..
ReplyDeletei hope we will do it..