Sunday, January 15, 2012

एक नया आयाम देते हो!


एक सुनहरी धूप सरीखी,
अगणित त्रस-रेणु सी बिखरी,
तुम जीवन के कोहरे में भी
सु-सुषमा अविराम देते हो!
एक नया आयाम देते हो!


इक पग आगे, इक पग पीछे,
सीमित क्षणों को सींचे-खींचे,
शुष्क मरुस्थल-सी मिटटी में
मरुद्वीप का विराम देते हो!
एक नया आयाम देते हो!


हो घोर विषादों, प्रामादों में,
सृष्टि के अविरत अनुनादों में,
तुम ही अंतरमन के विहग को
चिर आनंद की उड़ान देते हो!
एक नया आयाम देते हो!


Like a gleam of sunshine in a cold foggy day,
like an oasis of water in a hot dry desert,
you always give a newer meaning to my life.
A meaning that I yearn for!
Despite all pains and sufferings of the worldly life,
you give my spirit a flight of bliss!
The bliss that I yearn for!

2 comments:

  1. सार्थक और बेहद खूबसूरत,प्रभावी,उम्दा रचना है..शुभकामनाएं।

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  2. इक पग आगे, इक पग पीछे,
    सीमित क्षणों को सींचे-खींचे,
    शुष्क मरुस्थल-सी मिटटी में
    मरुद्वीप का विराम देते हो!
    एक नया आयाम देते हो!
    simply speechless!!!

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