तुम मेरा हाल न पूछो, बड़ा कमाल-सा हूँ मैं,
ज़हर के घूँट पीकर भी, शरों में ढाल-सा हूँ मैं.
सिफर तक टूट करके भी, सफ़र है बरकरार मेरा,
कि इन ख़ामोश पलों में भी, बड़ा वाचाल-सा हूँ मैं.
अजब-सी राह ये ज़िन्दगी, सिला मुझको मिला ऐसा,
कि जो भी साज़ तुम छेड़ो, उसी में ताल-सा हूँ मैं.
ज़रुरत इस अँधेरे में पड़े, बेशक बुला लेना
कि तूफाँ में भी जो जलता है वो मशाल-सा हूँ मैं.
जो जीना है तो जी भर के जियो, बनके ज़रा 'मधुर'
कि उल्फ़त में नहीं कहते कभी 'बेहाल-सा हूँ मैं'!
Picture Courtesy: http://virin.tumblr.com/post/6380054846/strength-of-a-man-abstract-nellie-vin-by-nellie
सुन्दर शब्दावली, सुन्दर अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteकृपया मेरी नवीन प्रस्तुतियों पर पधारने का निमंत्रण स्वीकार करें.
madhuresh.... ye to Gulzar saab ki yaad dila di! kya khoob likha hai, ab to mujhe bhi samajh aane lagi hain ye baatein... ye hindi, ye urdu! WAH
ReplyDelete@ SN Shukla ji: dhanyavaad! ji niyamit dekhta hun.. bahut saraahna!!
ReplyDelete@ Devika: khushi hui ki aapko achchi lagi :) :)
बेहतरीन ग़ज़ल......दिल से मुबारकबाद|
ReplyDeleteसिफर तक टूट करके भी, सफ़र है बरकरार मेरा,
ReplyDeleteकि इन ख़ामोश पलों में भी, बड़ा वाचाल-सा हूँ मैं.
lovely!!!
waah! kya baat hai
ReplyDeletebahut hi umda ,waah! kw alawa kuch sujh hi n rha taarif me
ReplyDeleteजो जीना है तो जी भर के जियो, बनके ज़रा 'मधुर'
ReplyDeleteकि उल्फ़त में नहीं कहते कभी 'बेहाल-सा हूँ मैं'!
Satya Vachan :) :)
Bot sahi, maan gaye guru :P :)