Thursday, April 5, 2012

काल-संकुचित!



वो कास्ट देखते हैं,
सब-कास्ट देखते हैं,
कुंडली देखते हैं,
टीपन मिलाते हैं,
दोष देखते हैं,
गुण मिलाते हैं.

कोई मिलान नहीं
भावनाओं का,
विचारों का,
अनुभूति का,
आधारों का,
सपनों का,
एहसासों का.

कैसा मिलन ये!
काल-संकुचित मैं!

Picture Courtesy: http://humblepiety.blogspot.com/2012/03/all-their-works-are-performed-to-be.html

23 comments:

  1. कोई मिलान नहीं
    भावनाओं का,
    विचारों का,
    अनुभूति का,
    आधारों का,
    सपनों का,
    एहसासों का. सही है कुंडली से ज्यदा जरुरी है ये सब मिलना

    दरअसल जब बाल विवाह हुआ करते थे तब बच्चों के सुखद जीवन के लिए कुंडली का महत्व था ....अब नहीं है

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  2. कैसा मिलन ये!
    काल-संकुचित मैं!
    उफ़ ! कम शब्दों में अंतर्द्वंद और विसंगतियों का जखीरा दे दिया

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  3. सच है.............
    गृह नक्षत्र मिले ....दिल ना मिले तो क्या फायदा.....

    सुन्दर!!!!

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  4. जब घरों के वातावरण मिलते हैं तो विचार मिल ही जाते हैं ......बहुत सारे ..
    हाँ पूरे पूरे विचार तो किसी के नहीं मिलते ....
    मेरी मौसी कि सास कहतीं थीं ....''रहत रहत सब नीक लगन लगत हैं ...!"
    हाँ कुछ उल्टा पुल्टा हो भी सकता है ...!आजकल की हवा का क्या भरोसा ....?
    ये तो मेरे विचार हैं कविता पढाने के बाद ...
    आपकी कविता बहुत सुंदर है ...सोचने पर बाध्य किया ....!!

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  5. बहुत सटीक अभिव्यक्ति....एक सारगर्भित और विचारणीय रचना...

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  6. कोई मिलान नहीं
    भावनाओं का,
    विचारों का,
    अनुभूति का,
    आधारों का,
    सपनों का,
    एहसासों का.
    ...........jane kab hoga , hoga bhi yaa nahi !

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  7. कोई मिलान नहीं
    भावनाओं का,
    विचारों का,
    अनुभूति का,
    आधारों का,
    सपनों का,
    एहसासों का.jo ki sabse aham hai......

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  8. zindagi jeene ki hai..
    katne ki nahi
    hum sab ek "bhool ki chadar"...
    hi to odhe hue hai
    shreyaskar hai
    hum sambhal jaye.

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  9. .. और रिश्ता हो जाता है असमय काल-कलवित..अति सुन्दर

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  10. मधुरेश ! बहुत सुन्दर..एकदम सही कहा सटीक और विचारणीय पोस्ट ...

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  11. कोई मिलान नहीं
    भावनाओं का,
    विचारों का,
    अनुभूति का,
    sahi nd satik bat kahi madhuresh.....

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  12. बहुत सुन्दर मधुरेश्जी .....कम शब्दों में बहुत कुछ कह डाला .....मैं शत प्रतिशत सहमत हूँ.....!!!!!

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  13. पुरानी और नयी सोच में शायद यही फर्क है ...

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  14. बहुत खूबसूरत लगी पोस्ट....शानदार।

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  15. वाह ...बहुत बढिया

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  16. sach kaha abhi tak koi aisa patra nahi bana jo bhaavo, anubhutiyon ka milan kar sake.

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  17. एक अभिनव विषय पर बड़ी ही विचारणीय रचना, वाह !!!!

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