...'coz love is all there is!
हाँ....कब तक कोई पांव ना पसारे..........
हजारों ख्वाईशें ऐसी कि हर ख्वाइश पे दम निकले ....!!गहन अभिव्यक्ति ...शुभकामनायें .
बहुत सही
पाँव मोड़ लेने का एकमात्र विकल्प है...शायद कशमकश कम हो!सुन्दरता से गहन बात कही गयी है आपकी रचना में!बधाई!
दो पंक्तियों में बहुत कुछ कह दिया आपने..
बहुत सही सादर
बहुत पुरानी बात हो चली .... उतने ही पाँव फैलाने चाहिए ,जितनी लम्बी चादर हो .... नया ज़माना ,नयी सोच के साथ कहावतें के मायनें भी बदलनी चाहिए .... !!
sundar, ati sundar.
Khoob Kaha....
यह कशमकश ही समाधान दिलायेगा।
बेजोड़ भावाभियक्ति....
bahot achche......
समझौता करते करते थक जाता है इन्सान , न थके इन्सान तो मुक्त कहाँ !
waah bahut hi sundar.
सार्वभौमिक कशमकश
ये चादर लंबी कर लीजिए नहीं तो मुड़ते-मुड़ते एक दिन पैर बगावत कर बैठेंगे..:)सून्दर
कविता बहुत पसंद आई।
बहुत खूबसूरत अंदाज़...कशमकश की ..
यशवंत जी आपका और विभा मौसी का आभार... अभी परीक्षा में व्यस्त हूँ, इसीलिए ब्लॉग नहीं पढ़ पा रहा...इसके लिए खेद है...सादरमधुरेश
एक रास्ता है ...अपने सोने का पोस्चर बदल लीजिये .....कशमकश तो और भी हैं ज़िन्दगी में झेलने के लिए ....!!!!
इस कशमकश में पाँव ही सिकोड़ने पड़ जाते हैं
हाँ....कब तक कोई पांव ना पसारे..........
ReplyDeleteहजारों ख्वाईशें ऐसी कि हर ख्वाइश पे दम निकले ....!!
ReplyDeleteगहन अभिव्यक्ति ...
शुभकामनायें .
बहुत सही
ReplyDeleteपाँव मोड़ लेने का एकमात्र विकल्प है...
ReplyDeleteशायद कशमकश कम हो!
सुन्दरता से गहन बात कही गयी है आपकी रचना में!
बधाई!
दो पंक्तियों में बहुत कुछ कह दिया आपने..
ReplyDeleteबहुत सही
ReplyDeleteसादर
बहुत पुरानी बात हो चली .... उतने ही पाँव फैलाने चाहिए ,जितनी लम्बी चादर हो .... नया ज़माना ,नयी सोच के साथ कहावतें के मायनें भी बदलनी चाहिए .... !!
ReplyDeletesundar, ati sundar.
ReplyDeleteKhoob Kaha....
ReplyDeleteयह कशमकश ही समाधान दिलायेगा।
ReplyDeleteबेजोड़ भावाभियक्ति....
ReplyDeletebahot achche......
ReplyDeleteसमझौता करते करते थक जाता है इन्सान , न थके इन्सान तो मुक्त कहाँ !
ReplyDeletewaah bahut hi sundar.
ReplyDeleteसार्वभौमिक कशमकश
ReplyDeleteये चादर लंबी कर लीजिए नहीं तो मुड़ते-मुड़ते एक दिन पैर बगावत कर बैठेंगे..:)
ReplyDeleteसून्दर
कविता बहुत पसंद आई।
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत अंदाज़...कशमकश की ..
ReplyDeleteयशवंत जी आपका और विभा मौसी का आभार... अभी परीक्षा में व्यस्त हूँ, इसीलिए ब्लॉग नहीं पढ़ पा रहा...इसके लिए खेद है...
ReplyDeleteसादर
मधुरेश
एक रास्ता है ...अपने सोने का पोस्चर बदल लीजिये .....कशमकश तो और भी हैं ज़िन्दगी में झेलने के लिए ....!!!!
ReplyDeleteइस कशमकश में पाँव ही सिकोड़ने पड़ जाते हैं
ReplyDelete