ऐ दिल, थोड़ी-सी शरारत कर ले,
ये शराफ़त नहीं साथ निभानेवाली
जश्न-ए-ज़िन्दगी का इक प्याला भर ले,
कि लौट के ये वापस नहीं आनेवाली
ऐ दिल, थोड़ी-सी शरारत कर ले ~~
तू जानता है कि होता नहीं ख़यालों में
इश्क की बात नहीं बात फ़साने वाली
बनके उड़जा तू वो पंछी जिसे परवाह नहीं
कब तलक आएगी वो ठौर ठिकाने वाली
ऐ दिल, थोड़ी-सी शरारत कर ले ~~
सुकूँ चाहता है तो घिरा हुआ-सा है क्यूँ?
बंद दीवारों में नहीं ताज़ी हवा आनेवाली
ऐ दिल, थोड़ी-सी शरारत कर ले ~~
ये शराफ़त नहीं साथ निभानेवाली
Picture Courtesy: Priyadarshi Ranjan
बिलकुल कर ली जाये शरारत....................
ReplyDeleteथोडा उड़ लिया जाये....थोडा जी लिया जाये.................
बहुत सुंदर मधुरेश.
अनु
बिलकुल कर ली जाये शरारत....................
ReplyDeleteथोडा उड़ लिया जाये....थोडा जी लिया जाये.................
बहुत सुंदर मधुरेश.
अनु
मीठी शरारत ही तो प्यारी शराफत बन कर दिल को लुभाता है.. अच्छी लगी..
ReplyDeleteकरें शरारत - लें मजे , किंतु रहे ये ध्यान
ReplyDeleteसबको न्यारा सुख मिले, होय नहीं नुकसान.
प्यारी रचना.....
शराफत भी हद से अधिक जानलेवा होती है
ReplyDeleteतो शरारत भी ज़रूरी है जीने के लिए ...
beautiful!!
ReplyDeleteबढ़िया प्रस्तुति ।
ReplyDeleteबधाई स्वीकारें ।।
बहुत सही कहा है ...
ReplyDeleteजश्न-ए-ज़िन्दगी का इक प्याला भर ले,
ReplyDeleteकि लौट के ये वापस नहीं आनेवाली
वाह !!!! क्या बात है सुंदर प्रस्तुति,..मधुरेश जी
MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: गजल.....
sahi kaha aapne thodi shararat bhi jaruri hai
ReplyDeleteसुकूँ चाहता है तो घिरा हुआ-सा है क्यूँ?
ReplyDeleteबंद दीवारों में नहीं ताज़ी हवा आनेवाली
bahut khubsurat.
सुकूँ चाहता है तो घिरा हुआ-सा है क्यूँ?
ReplyDeleteबंद दीवारों में नहीं ताज़ी हवा आनेवाली
अच्छी सेहत के लिए ताजी हवा जरूरी है
जीने के लिए थोड़ी मस्ती भी जरूरी है
इस जज़बे के साथ तो कई गुनाह भी चुटकियों में माफ़ हो जाते हैं ......!
ReplyDeleteसुकूँ चाहता है तो घिरा हुआ-सा है क्यूँ?
ReplyDeleteबंद दीवारों में नहीं ताज़ी हवा आनेवाली
सार्थक सुंदर अभिव्यक्ति ...
शुभकामनायें ...
हलकी फुलकी शरारत का अपना ही मज़ा है.
ReplyDeleteहलकी फुल्की शरारत भी बहुत जरुरी है.
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति.
Wow...Such a lovely and full of life poem. Makes your day when you read such a piece.
ReplyDeleteहर रिश्तो में थोड़ी शरारत तो होनी ही चाहिए
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया रचना...
बहुत ही सुंदर प्रस्तुति । आप तो भूल ही गए पर मैं आपका भुल नही पाया हूँ । मेरे पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
ReplyDeleteसुकूँ चाहता है तो घिरा हुआ-सा है क्यूँ?
ReplyDeleteबंद दीवारों में नहीं ताज़ी हवा आनेवाली ...
सच है मन के सभी किवाड़ खोल के ताज़ी हवा का आनंद लेना चाहिए ... हमेशा बच्चों सा शरारती होना चाहिए ...