Thursday, December 27, 2012

मानसिकता में बदलाव



नियमों को बदलने से क्या होगा,
जब नियत ही न बदल पाई हो?
बात आसमां में उड़ने की क्या हो,
जब ज़मीं पर ही न संभल पाई हो!

बड़ी बड़ी बातों में नहीं रखा है, 
जवाब हमारी आजादी का कहीं। 
इज्ज़त-ओ-कद्र के दो लफ्ज़ ही पर 
जब ज़ुबां हमारी न अमल कर पायी हो!

बात न क़ानून की रह गयी है कहीं,
और न किसी इन्साफ में ही दम है। 
गली-नुक्कड़ की गन्दगी पे क्या बोलें,
घर-आँगन में ये कचरा क्या कम है?

ज़रूरत है मानसिकता में बदलाव की,
ज़रूरत है कुरीतियों पे पथराव की।
ज़रूरत है कि इस ज़रूरत को समझे हम,
और घर से ही इस कमी की भरपाई हो।

Picture Courtesy: Priyadarshi Ranjan

19 comments:

  1. बिलकुल सही बातें लिखी है. सम्मान जब तक घर में न मिलेगा. बाल विवाह, दहेज़ विवाह और "तुम औरत हो" तुम फराक रहो, ऐसे कुत्सित विचार जब तक सबके मन से नहीं जायेंगे तब तक इनसे सच्चे अर्थ में मुक्ति पाना दूभर है. पुरानी रीतियाँ का कह नहीं सकते, पर हाँ ये अहद खुद जरूर कर सकते हैं. ये युग हमारा युग है और बदलाव कम से कम हमारी पीढ़ी की सोच में ही आ जाए तो जीते जी देश में उस समता को देखेंगे जिसे देखने की इच्छा है हमें.

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    1. निहार भाई, आपके विचारों और आकांक्षाओं में मेरा भी मत पूरी तरह शामिल है।

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  2. बड़ी बड़ी बातों में नहीं रखा है,
    जवाब हमारी आजादी का कहीं।
    इज्ज़त-ओ-कद्र के दो लफ्ज़ ही पर
    जब ज़ुबां हमारी न अमल कर पायी हो!

    बहुत बढ़िया

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    1. धन्यवाद वंदना जी।

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  3. यह मानसिकता तभी बदलेगी जब समभाव होगा ।

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  4. "जरुरत है मानसिकता में बदलाव की ..."
    बिलकुल सही बात है, जब तक मानसिकता नहीं बदलती किसी भी बदलाव की आशा करना व्यर्थ है ...नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें

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  5. बिल्कुल सही लिखा है मधुरेश जी..मानसिकता ही गुलाम है अब तक... बदलाब कहाँ से आएगा?

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  6. ज़रूरत है मानसिकता में बदलाव की,
    ज़रूरत है कुरीतियों पे पथराव की।,,,,,

    बहुत ही सुंदर प्रस्तुति,,,,

    recent post : नववर्ष की बधाई

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  7. बिना मानसिकता मे बदलाव के किसी परिवर्तन की आशा ही नहीं करनी चाहिए।

    सादर

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  8. आपकी कविता मन के संवेदनशील तारों को झंकृत कर गई। मेरी कामना है कि आप अहर्निश सृजनरत रहें। मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा। न्यवाद।

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  9. सचमुच आवश्यकता है सामाजिक परिवर्तन की

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  10. ज़रूरत है मानसिकता में बदलाव की,
    ज़रूरत है कुरीतियों पे पथराव की।
    ज़रूरत है कि इस ज़रूरत को समझे हम,
    और घर से ही इस कमी की भरपाई हो।
    बिल्‍कुल सच कहा है आपने ...

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  11. सच मानसिकता बदले बिना हालात कभी नहीं बदलने वाले
    सुंदर प्रस्तुति
    नववर्ष की हार्दिक बधाई।।।

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  12. ज़रूरत है मानसिकता में बदलाव की,
    ज़रूरत है कुरीतियों पे पथराव की।

    बहुत ही शानदार पोस्ट ।

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  13. बात न क़ानून की रह गयी है कहीं,
    और न किसी इन्साफ में ही दम है।
    गली-नुक्कड़ की गन्दगी पे क्या बोलें,
    घर-आँगन में ये कचरा क्या कम है?

    ...बहुत सटीक और सशक्त अभिव्यक्ति..नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें!

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  14. अब मानसिकता बदलनी ही चाहिए ..

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  15. ज्वलंत विषय पर गंभीर विचार मंथन.

    आपको नव वर्ष २०१३ मंगलमय हो.

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  16. मानसिकता को बदलना होगा ...
    मंगलकामनाएं ...

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  17. बात न क़ानून की रह गयी है कहीं,
    और न किसी इन्साफ में ही दम है।
    गली-नुक्कड़ की गन्दगी पे क्या बोलें,
    घर-आँगन में ये कचरा क्या कम है?
    satik panktiyan...

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