यह दीन दशा अब देख देश की,
रोती प्याला, रोती हाला।
चहु ओर व्यथा है, औ' विषाद है,
थर-थर काँपे मन-साक़ी बाला।
कैसी मादकता छा गयी समाज में!
किसने ढारी यह कलुषित हाला!
निःशब्द खड़ी, नियति पे रोती,
बस शोक मनाती मधुशाला।
कुछ पुष्प ईश-अर्पण के तुम,
श्रद्धा से परे हटा देना,
विनती उस बाला की करना,
बनी रहे उसकी मधुशाला।
Dedicated to that brave girl who is still struggling for life in Safdarjung Hospital.
May God give her immense strength to recover soon. Amen.
निःशब्द खड़ी, नियति पे रोती,
ReplyDeleteबस शोक मनाती मधुशाला।
शब्दातीत अभिव्यक्ति.... बेहद प्रभावपूर्ण!
निःशब्द खड़ी, नियति पे रोती,
ReplyDeleteबस शोक मनाती मधुशाला।
शब्द शब्द से पीड़ा झलक रही है .....आपकी प्रार्थना में मेरे भी स्वर शामिल हों ....!!
तोड़ दिया कर में ले कर उसके अरमानो का प्याला
ReplyDeleteबिखर गयी चहुं ओर दिशा उसके जीवन की हाला
हर चौराहे पर खड़े हुये सब बन उसकी साकीबाला
न्याय मांगते कहते हैं सब बनी रहे यह मधुशाला ।
अच्छी प्रस्तुति
बहुत सही दोस्त!
ReplyDeleteमन के भावो को खुबसूरत शब्द दिए है अपने....
ReplyDeleteकैसी मादकता छा गयी समाज में!
ReplyDeleteकिसने ढारी यह कलुषित हाला!
निःशब्द खड़ी, नियति पे रोती,
बस शोक मनाती मधुशाला,,,,,बेहतरीन भावपूर्ण पंक्तियाँ,,
recent post : समाधान समस्याओं का,
निःशब्द खड़ी, नियति पे रोती,
ReplyDeleteबस शोक मनाती मधुशाला।
बहुत सुन्दर भाव पूर्ण अभिव्यक्ति
नई पोस्ट : "सास भी कभी बहू थी " , "गांधारी के राज में नारी "
sundar bhavpurn rachna
ReplyDeleteकुछ पुष्प ईश-अर्पण के तुम,
ReplyDeleteश्रद्धा से परे हटा देना,
विनती उस बाला की करना,
बनी रहे उसकी मधुशाला।...भावपूर्ण!!
जंग जिन्दगी से लड़ रही कहला रही बहादुर
राष्ट्र की लाडली निर्भया तुम दुआएँ ले लो हमारी
यही विनती की सबसे पहले वो स्वस्थ हो जाए.
ReplyDeleteसार्थक ... बहुत ही सामयिक प्रस्तुति ..
ReplyDeleteवाह ......बहुत ही ज़बरदस्त।
ReplyDeleteबहुत कुछ बयाँ करती चंद पंक्तियाँ !!
ReplyDeleteआमीन..
ReplyDeleteकैसी मादकता छा गयी समाज मे।
ReplyDeleteकिसने ढारी यह कलुषित हाला।
इसके जरिये आपने बहुए कुछ कह डाला।
मन बाग बाग झाला।
सार्थक प्र्स्तुति हार्दिक आभार
उमाशंकर चौहान