कुछ बीती बातों पे,
बरबस मुलाकातों पे,
मीठे अल्फाजों पे,
ग़ौर फरमाईये,
ज़रा मुस्कुराईये!
हर फिक्र धुंए में
कहाँ उड़ पाती है!
यारों की सोहबत भी
फीकी पड़ जाती है!
जिंदादिली बचपन की
बटोर लाईये,
कई लम्हे हैं,
कतरे-कतरे में,
जिंदगानी लिए हुए.
चुन-चुन के उन्हें
आँखों में भर लाईये
ज़रा मुस्कुराईये!
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