Sunday, October 30, 2011

अतीत से द्वंद्व




वो जो मुझमे था,
ख़ुद ही खोया पड़ा है!
शायद वो भी ख़ुद को,
कहीं और ढूंढ रहा है!
और तुम क्या तुम ही हो?
कल कुछ और ही थे,
आज कुछ और ही हो.
कल का पता,
ना तुम्हे है, ना हमें.
वक़्त के साथ सम्यक
ना तुम हो, ना हम हैं.
जब खूब पहचान थी तुम्हे,
तो आज भरोसा क्यूँ कम है!
तुम बदले, इसका तो नहीं,
हाँ मैं बदला, इसका ग़म है!
इसीलिए ढूंढ रहा हूँ ख़ुद को,
कि वक़्त फिर मुझे ना बदले.
मैं होऊं तो शाश्वत होऊं,
वरना जीवन निरर्थक है!

Saturday, October 29, 2011

ज़रा मुस्कुराईये!


कुछ बीती बातों पे,
बरबस मुलाकातों पे,
मीठे अल्फाजों पे,
ग़ौर फरमाईये,
ज़रा मुस्कुराईये!

हर फिक्र धुंए में
कहाँ उड़ पाती है!
यारों की सोहबत भी
फीकी पड़ जाती है!
जिंदादिली बचपन की 
बटोर लाईये,
ज़रा मुस्कुराईये!


कई लम्हे हैं,
कतरे-कतरे में,
जिंदगानी लिए हुए.
चुन-चुन के उन्हें 
आँखों में भर लाईये
ज़रा मुस्कुराईये!




Wednesday, October 26, 2011

Entropy-ism



We meditate...to seize the mind from outwards....although it is against the natural flow, against the entropy...yet we do..!!

सरिता का सागर में मिलना,
कलियों का फूल में खिलना,
और ओस की नन्ही बूंदों का
पत्तियों से लुढ़कना-फिसलना,

अविराम है, अगणित भी
स्वतः स्फूर्त है, स्वतः शील भी
प्रायोजित है, नियोजित भी.
कितना संभव है संभलना?

नियति के निश्चित-अनिश्चित पे
कैसा विलाप और कैसा मंथन?
आखिर इस (अ)सीमित मन का
बंधन प्रेम है या कि प्रेम बंधन?

Picture Courtesy: kealwallpapers.com

Sunday, October 23, 2011

है निशा अब जाने को


है निशा अब जाने को,
क्षितिज पर आभा बिखर रही,
कंचन किरणों से कली-कली
पुष्पित होती औ' निखर रही.

वंदन चंदन अभिनंदन की
बेला सुमधुर सुर-साज भरी,
अरुणाभ अमित उज्ज्वलता से
पल्लव होती, हो प्रखर रही.

अनुराग निहित स्पंदन सा 
शीतल सरिता का सलिल लगे,
निर्बाध प्रवाह की अभिलाषा
अंतर नित प्रेरित कर रही.

है निशा अब जाने को,
क्षितिज पर आभा बिखर रही.

Picture Courtesy: Sachit
Place: Lonar Crater, Lonar, India

Sunday, October 2, 2011

क्या खोया? और क्या पाया है!



मैंने जितना
पाके खोया,
उससे ज़्यादा
खोके पाया.

और अब सोचता,
इस अतीत में,
कितना खोया!
कितना पाया!

क्या समृद्धि
पाना ही है?
या फिर वृद्धि
खोना भी है!

ये भी जानना
ज़रूरी है कितना!
कि क्या खोया है,
क्या पाया है !!  


Picture: River Manas, India-Bhutan border (Courtsey: Amit Raj Singh)