Tuesday, February 23, 2010

ओ तन्हाई


ओ तन्हाई,
मुझसे बातें कर.

दिल का कोई कोना,
कहीं रो रहा है.
सूझता न कुछ, जाने
क्या हो रहा है?
पास आ ज़रा,
अब तो ना मुकर.
ओ तन्हाई,
मुझसे बातें कर.

राह में देखे हैं मैंने
सैकड़ों उल्फत-दगा.
छोड़ सपनों के उड़ान,
अब मन जगा.
हाथ ले तू थाम,
देखता है किधर?
ओ तन्हाई,
मुझसे बातें कर.


बाँध ले मुझको,
कहीं ना छूट जाऊं.
जोड़ दे हिम्मत,
कहीं ना टूट जाऊं.
खुद पे खामोशी का,
ऐसा हो असर!
ओ तन्हाई,
मुझसे बातें कर.

Picture courtsey: http://www.randyyork.net/7182.html

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