मन की अवनि पर धूप खिला,
नव जीवन को आधार मिला,
बीता तम घन, बीती रातें,
जब प्रीत मिला, मनमीत मिला।
नव-स्वप्नों का अम्बार लिए,
जीवन स्वागत हेतु आई,
खुशबू बिखरी चहु ओर दिशा,
सुमनों की बरखा कर लाई।
जीवन कोरा कागज़ सा है,
प्रियतम के नेह है रंग सभी,
हर कोना रंग भर जाएगा,
जो साथ भरेंगे रंग कभी।
दो जीवन का ये विलय सदा,
अनुभूति का आधार बने,
हो अक्ष-अक्षिका सा तालमेल,
और मधुर मधुर संसार बने।
Picture Courtesy: http://images2.layoutsparks.com
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बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति !
ReplyDelete: महादेव का कोप है या कुछ और ....?
नई पोस्ट माँ है धरती !
ऐसे मधुर शब्द पढ़कर आत्मा भी रस स्निग्ध हो जाता है है मधुरेश भाई. प्रेममय इस रचना के लिए बहुत-बहुत बधाई!
ReplyDeleteबहुत सुंदर , मधुरेश भाई धन्यवाद !
ReplyDeleteInformation and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
वाह ... अनुपम शब्द संयोजन ....
ReplyDeleteशुभकामनाएँ
बहुत ही मधुर गीत ... अनुपम ...
ReplyDeleteदिल से लिखी गयी और दिल पर असर करने वाली रचना...!!!
ReplyDeleteबहुत बढ़िया ..पहली बार आपके ब्लॉग पर आई हूँ ...अच्छा लगा
ReplyDeleteबेहतरीन ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भावमयी रचना...
ReplyDeleteबहुत ही मधुर, सुन्दर रचना...
ReplyDeleteभावमयी पंक्तियाँ....
ReplyDeleteउम्दा और बेहतरीन ...
ReplyDeleteनयी पोस्ट@जब भी सोचूँ अच्छा सोचूँ
बहुत सुन्दर रचना, बधाई.
ReplyDeleteदो जीवन का ये विलय सदा,
ReplyDeleteअनुभूति का आधार बने,
हो अक्ष-अक्षिका सा तालमेल,
और मधुर मधुर संसार बने। .....आपकी रचना काफी अच्छी लगी।मेरे नए पोस्ट पर आपकी प्रतीक्षा रहेगी।