दो नयना भरे-भरे से हैं
स्नेह से, आशाओं से...
जाने क्यूँ परे-परे से हैं
अनदेखी परिभाषाओं से...
मुख पे मद्धिम मुस्कान कहीं
इक स्वप्न कोई पुलकित करतीं...
कुछ डूबे से, कुछ उबरे से
मीठे ख़याल अंकित करतीं...
हाँ दूर कहीं उन स्वपनों में
नव-जीवन की आवृत्ति है...
जो था सुषुप्त, अब है जगा
मन नवल-रूप आकृति है...
सोचूं तो सबकुछ है मन में,
कितनी गहरी संतृप्ति है...
बस नेह भरा ही मन मेरा
प्रारब्ध है, स्मृति है...
बहुत सुन्दर !!
ReplyDeleteसोचूं तो सबकुछ है मन में,
ReplyDeleteकितनी गहरी संतृप्ति है...
बस नेह भरा ही मन मेरा
प्रारब्ध है, स्मृति है...
वाह ... बेहतरीन
हाँ दूर कहीं उन सपनों में
ReplyDeleteनव-जीवन की आवृत्ति है...
जो था सुषुप्त, अब है जगा
मन नवल-रूप आकृति है,,,,बहुत बढ़िया भावपूर्ण रचना,,,,,मधुरेश जी
RECENT POST ...: जिला अनूपपुर अपना,,,
सोचूं तो सबकुछ है मन में,
ReplyDeleteकितनी गहरी संतृप्ति है...
गहन और भाव्पूर्ण रचना ..!!
शुभकामनायें मधुरेश ...!!
सुंदर रचना
ReplyDeleteबहुत सुन्दर कोमल
ReplyDeleteभाव अभिव्यक्ति...
:-)
खुबसूरत अभिवयक्ति......
ReplyDelete
ReplyDeleteसोचूं तो सबकुछ है मन में,
कितनी गहरी संतृप्ति है...
बस नेह भरा ही मन मेरा
प्रारब्ध है, स्मृति है...... शब्द शब्द मरीं अदभुत भावों का प्रवाह है
सुन्दर भावाभिव्यक्ति!
ReplyDeleteBeautifully defined :)
ReplyDeleteसुन्दर भावो के साथ सुन्दर शब्दों का संयोजन
ReplyDeleteसुंदर भावाभिव्यक्ति.....
ReplyDeleteसुदर भाव के साथ सुंदर गीत। बहुत अच्छी पोस्ट। मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है।
ReplyDeleteअति सुन्दर भाव व अभिव्यक्ति .. अच्छी लगी..
ReplyDeleteवाह बहुत खूब
ReplyDeleteहिंदी में लेखन बहुत सुन्दर है आपका।
ReplyDeleteकल 26/08/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
सुंदर भाव पूर्ण गीत।
ReplyDeleteCome and join the writers group... :)
ReplyDeletehttp://www.facebook.com/?ref=tn_tnmn#!/groups/424971574219946/
Very beautiful, I feel I can write a poem just after reading your posts. You inspire me :)
ReplyDeleteThanks Saru! :) ... don't know if I really deserve such a compliment, but it is an honor to hear this from you!
DeleteSeriously, you deserve it and I learn a lot from writers like you. It's a pleasure knowing you. When you are connected to a good writer and person, you evolve each day.
Deleteबहुत खूब ,सुंदर ख्याल
ReplyDeletebahut sundar.....
ReplyDeleteसोचूं तो सबकुछ है मन में,
ReplyDeleteकितनी गहरी संतृप्ति है...
बस नेह भरा ही मन मेरा
प्रारब्ध है, स्मृति है...
वाह ... मधुर स्मृतियों को संजोय ... सुन्दर गीत ...
सोचूं तो सबकुछ है मन में,
ReplyDeleteकितनी गहरी संतृप्ति है...
बस नेह भरा ही मन मेरा
प्रारब्ध है, स्मृति है...
....बहुत गहन और भावमयी प्रस्तुति...बहुत सुन्दर...
बहुत गहरे भाव
ReplyDeleteबहुत खूब,,,
ReplyDeleteबहुत सुन्दर, मनभावन और गहन भाव...
ReplyDeleteसोचूं तो सबकुछ है मन में,
कितनी गहरी संतृप्ति है...
बस नेह भरा ही मन मेरा
प्रारब्ध है, स्मृति है...
बधाई और शुभकामनाएँ.
सोचूं तो सबकुछ है मन में,
ReplyDeleteकितनी गहरी संतृप्ति है...
बस नेह भरा ही मन मेरा
प्रारब्ध है, स्मृति है....wah.....kya baat kah di......
bahut gahan bhao, badhai
ReplyDeletemere blog me bhi padhare: http://kpk-vichar.blogspot.in
Beautifully Beautifully poem
ReplyDeleteBeautiful lines.
ReplyDeleteBeautifully expressed! :)
सोचूं तो सबकुछ है मन में,
ReplyDeleteकितनी गहरी संतृप्ति है...
बस नेह भरा ही मन मेरा
प्रारब्ध है, स्मृति है...
बहुत ही खूबसूरत पंक्तियाँ .....