ऐ दिल, थोड़ी-सी शरारत कर ले,
ये शराफ़त नहीं साथ निभानेवाली
जश्न-ए-ज़िन्दगी का इक प्याला भर ले,
कि लौट के ये वापस नहीं आनेवाली
ऐ दिल, थोड़ी-सी शरारत कर ले ~~
तू जानता है कि होता नहीं ख़यालों में
इश्क की बात नहीं बात फ़साने वाली
बनके उड़जा तू वो पंछी जिसे परवाह नहीं
कब तलक आएगी वो ठौर ठिकाने वाली
ऐ दिल, थोड़ी-सी शरारत कर ले ~~
सुकूँ चाहता है तो घिरा हुआ-सा है क्यूँ?
बंद दीवारों में नहीं ताज़ी हवा आनेवाली
ऐ दिल, थोड़ी-सी शरारत कर ले ~~
ये शराफ़त नहीं साथ निभानेवाली
Picture Courtesy: Priyadarshi Ranjan