कैसे लिख दूं गीत किसी दिन?
कैसे शब्द पिरोऊँ तुम बिन?
ये अंतर, जो है उद्विग्न सा,
क्यूँ उसको और जलाते हो?
तुम याद बहुत आते हो!
कानों में बस शब्द तुम्हारे,
उर में सौम्य-सरसता धारे,
चाहे जितनी दूर रहूँ मैं
तुम उतना पास बुलाते हो!
हाँ, याद बहुत आते हो!
प्रेम की सीमा अंकित करके,
अपनी सृष्टि परिमित करके,
जब जाता मैं मन विमुख करके,
किस डोर फिर खींचे जाते हो?
तुम याद बहुत आते हो!
Picture : China Rose (Rosa sinensis) (from my garden back home!)
beautiful! kitne achche se capture kiya 'missing' feeling ko!
ReplyDeleteDevika, shukriya :)
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