Monday, February 21, 2011

मधुमास



मन की अनबन को छोड़ सखी,
मैं चली पिया के पास.
जो जग छूटे, मोह न मोहे,
बरबस बस इक आस.

पिया प्रेम के आराधन हैं,
उर में उनका वास.
इस बौरन ने घट-घट ढूँढा,
उनका प्रेम निवास.

अथक साधना से पाया है,
ये पावन एहसास.
जो कुछ भी है, सब तेरा है,
तेरी हर इक सांस.


पूर्ण समर्पण मेरा जीवन,
अब ना कोई कयास.
पिया पियारे तीन रंगों में,
रंगा मेरा मधुमास.




Picture Courtsey: Oil paintings reshared from the blog- http://jeanleverthood.blogspot.com/2009/05/poppies-oil-painting-yes-more-poppies.html

2 comments:

  1. जो कुछ भी है, सब तेरा है,
    तेरी हर इक सांस.
    इस प्रेम और समर्पण को तो भक्ति की पराकाष्ठा छुते देख रहे हैं हम...
    बहुत सुन्दर!

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  2. पूर्ण समर्पण मेरा जीवन,
    अब ना कोई कयास.
    पिया पियारे तीन रंगों में,
    रंगा मेरा मधुमास.
    मूक हूं ....प्रेम की पराकाष्ठा ...भक्ति की हिलोरें .....परम आत्म का मानो साक्षात ....

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