दिनकर सा अग्नि में जल तू,
पथरीले राहों पे चल तू,
तूफानों को बाँध ह्रदय में
रह इस पथ पर अडिग अटल तू.
पथरीले राहों पे चल तू,
तूफानों को बाँध ह्रदय में
रह इस पथ पर अडिग अटल तू.
तप की अग्नि से उज्जवल तन हो,
करुणा-दीप से रोशन मन हो,
विपदाओं से घिरी धरा में,
सींच ह्रदय में अथाह बल तू.
करुणा-दीप से रोशन मन हो,
विपदाओं से घिरी धरा में,
सींच ह्रदय में अथाह बल तू.
सुख की चाह तो क्षणभंगुर है,
ऐसे जीने में क्या गुर है,
वो नर क्या जो मखमल चाहे,
मांग विधा से कंटक-तल तू.
ऐसे जीने में क्या गुर है,
वो नर क्या जो मखमल चाहे,
मांग विधा से कंटक-तल तू.
Picture Courtsey: http://www.taltopia.com/media/53/53595/-The-Fire-Within.jpg
मांग विधा से कंटक-तल तू.
ReplyDeleteइस ज़ज्बे को नमन!