वीणा के समान
कई तारों से बंधे,
तान कर सधे
होते हैं रिश्ते!
जिनके दो छोड़
होते है दो व्यक्ति
और मधुरिम संगीत
रिश्तों की अभिव्यक्ति।
प्रेम, आकर्षण,
श्री और समर्पण
हैं ये चार तार
रिश्तों के आधार!
इन चार तारों को
समय परखता है.
उत्तम वही जो
सामंजस्य रखता है!
तनाव कम
तो संगीत लुप्त!
लगाव कम
तो रिश्ते सुप्त!
तनाव अधिक
तो टूट जाते हैं!
लगाव अधिक
तो फूट जाते हैं!
जो टूटे कभी
एक भी तार
तो हिल जाता है
रिश्ते का आधार!
फिर भी टिका रहे,
अगर एक भी तार,
तो टिका रहता है
इकतारे सा आधार!
इकतारे सा आधार!
ऐसे लम्हों में
सम्बल भर देना,
न भी संभले तो,
रिश्ते न खोना!
मन में रखना
दृढ़ विश्वास,
बस करते रहना
एक और प्रयास!
कि ये आखिरी तार
बना रहे, न टूटे!
साथ जो सदा का था
वो व्यर्थ ही न छूटे!
इकतारे सी सरल
ReplyDeleteवीणा सी सुरीली ये कविता