Tuesday, May 17, 2022

संतान






संतान
संतृप्ति का सृजक है 
संतान
जीवन चक्र का पूरक है

संतान
प्रकृति के ऋण का त्राण है 
संतान
अपने प्राणों में नया प्राण है

संतान
हास्य है, रुदन है, क्रंदन है 
संतान
ह्रदय का मधुरिम स्पंदन है

संतान
बल है, शौर्य है, श्रियं है
संतान
कुल का कौस्तुभ प्रियं है

संतान
गर्व है, अभिमान है 
संतान
अपने होने का सम्मान है


5 comments:

  1. खूबसूरत शब्द संयोजन...

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  2. बहुत ही सुंदर भावपूर्ण सृजन

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  3. आह्लादित भाव की आर्द्रता हृदय को आलोडित कर रहा है। सृष्टि संधार्य होने के लिए हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ।

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  4. कमेंट बॉक्स फिर नहीं खुला। वैसे संगीत और रिश्तों के साम्य धुन को बड़ी सुन्दरता से छेड़ा है। अच्छा लगा।

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