संतान
संतृप्ति का सृजक है
संतान
जीवन चक्र का पूरक है
संतान
प्रकृति के ऋण का त्राण है
संतान
अपने प्राणों में नया प्राण है
संतान
हास्य है, रुदन है, क्रंदन है
संतान
ह्रदय का मधुरिम स्पंदन है
संतान
बल है, शौर्य है, श्रियं है
संतान
कुल का कौस्तुभ प्रियं है
संतान
गर्व है, अभिमान है
संतान
अपने होने का सम्मान है
खूबसूरत शब्द संयोजन...
ReplyDeleteशुभकामनाएं बधाई।
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर भावपूर्ण सृजन
ReplyDeleteआह्लादित भाव की आर्द्रता हृदय को आलोडित कर रहा है। सृष्टि संधार्य होने के लिए हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteकमेंट बॉक्स फिर नहीं खुला। वैसे संगीत और रिश्तों के साम्य धुन को बड़ी सुन्दरता से छेड़ा है। अच्छा लगा।
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