इच्छाओं का बहाव
विपरीत, प्रतिकूल।
जीवन की तलाश में
मृत्यु का सा शूल।
दुर्गम जटिल पथ
सदा सम्बलदायक।
परा-शक्ति पर करती
अंतस को उन्मूल।
जो गिरता सो उठता,
उठा हुआ गिर जाता,
जो भूला सो सीखा,
जो सीखा करता भूल।
ख़ाक छान ही बना सिकंदर,
और बनके फांके धूल!
Picture Courtesy: Illusion of depth by Ariel Freeman http://arielfreeman.blogspot.com/
ख़ाक छान ही बना सिकंदर,
ReplyDeleteऔर बनके फांके धूल!
सच मधुरेश..... बेहद उम्दा रचना ......!!
जीवन के पथ पर हिम्मत से चलते जाना है .....!!सुंदर रचना ...
ReplyDeletesundar bhav ....................
ReplyDeleteशब्द-शब्द शिक्षाप्रद. गहरे सोच की उपज. अति सुन्दर मधुरेश भाई.
ReplyDeleteजीवन का एक और सच
ReplyDeleteKhoobsoorat :)
ReplyDeleteसच कहती उत्कृष्ट पंक्तियां
ReplyDeleteकल 29/11/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
ReplyDeleteधन्यवाद!
ख़ाक छान ही बना सिकंदर,
ReplyDeleteऔर बनके फांके धूल!
कटु सत्य !
नई पोस्ट तुम
सुन्दर उत्कृष्ट पंक्तियां..
ReplyDeleteपूरा जीवन दर्शन है इन पंक्तियों में ....शुभकामनायें
ReplyDeleteबहुत सुन्दर विराधाभासों को बखूबी दर्शाया है आपने |
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