यह पूनम भी अमानिशा सी
अँधियारा लिपटाती जाती.
औ' बैरन-सी भयी बयार भी
कुटिल शीत कड़काती जाती.
उजियारा बस कहने को है,
अंतर तम का घोर कहर है.
बाहर के चकमक में उर ये
अंतस लौ झुठलाती जाती.
तज दे झूठी राग चमक की,
तज दे अब ना और बहक री,
चल रे अब तू भीतर चल री,
क्यूँ खुद को भरमाती जाती!
O my conscience,
hold me tight.
I'm swaying away,
escape the plight.
For it's so fake-
this outside light.
'n I'm ruining away
my so rich life.
I have to go back,
back- deep inside.
O my conscience,
hold me tight.
Picture Courtesy: http://nmsmith.deviantart.com/art/Inner-Light-132644163