Saturday, January 1, 2011

गीत नया गुनगुना ऐ मन



गीत नया गुनगुना ऐ मन.
दिल के तार बजे छन-छन.
तोड़ के सारे कुपित बंधन,
उन्मुक्त छिड़े सौरभ मन-उपवन!

देखो गाता मंद-समीर यह,
देखो झूम रहा है कण-कण.
प्रेम-माधुर्य को कर आलिंगन,
वर्ष है आया यह नव-नूतन.

कोई दिल की बात छुपे ना,
शब्द पिरो ले जैसे दर्पण.
और झूमे इनके संगीत में,
स्नेह-विभोर अपना यह जीवन.


Dedidated to Swarn Di, who has always been so inspiring for me!

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