मन की अवनि पर धूप खिला,
नव जीवन को आधार मिला,
बीता तम घन, बीती रातें,
जब प्रीत मिला, मनमीत मिला।
नव-स्वप्नों का अम्बार लिए,
जीवन स्वागत हेतु आई,
खुशबू बिखरी चहु ओर दिशा,
सुमनों की बरखा कर लाई।
जीवन कोरा कागज़ सा है,
प्रियतम के नेह है रंग सभी,
हर कोना रंग भर जाएगा,
जो साथ भरेंगे रंग कभी।
दो जीवन का ये विलय सदा,
अनुभूति का आधार बने,
हो अक्ष-अक्षिका सा तालमेल,
और मधुर मधुर संसार बने।
Picture Courtesy: http://images2.layoutsparks.com
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