Madhushaalaa: The Nectar House
...'coz love is all there is!
Labels
आत्म-मंथन
विशेष
करुणा
प्रेम
श्रृंगार
वीर
ग़ज़ल
हास्य-व्यंग्य
अनुवाद
कथा
Monday, March 7, 2011
एहसास
"..रुकते रुकते चल पड़े मन,
ऐसी आशाओं को हाला,
और चलके रुक जाय जहाँ पर,
वहीँ वहीँ हो मधुशाला!.."
मैंने मंदिर मस्जिद जाकर
ढूँढा प्याला, ढूंढी हाला
सन्मुख बैठा संत जनों के,
नहीं सधा मन मतवाला.
जब भी तेरा ध्यान लगाया
भूला, भटका, भरमाया.
अब जा के एहसास हुआ कि
कहाँ नहीं है मधुशाला!
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment