Saturday, November 27, 2010

भक्ति गीत - भोजपुरी में


पतझड़ के सूखा पत्ता हरिअर बना द~~
हमरो अन्दर तनी-सा भक्ति जगा  द~~ --२

तू ही एक प्यारा बाड़ा~
तू ही एक दुलारा बाड़ा~
डूबल बा नाव हमार
तू ही एक किनारा बाड़ा
तहरे से आस लगल बा

नईया अब पार लगा द~~

हमरो अन्दर तनी-सा भक्ति जगा  द~~  --२

तहरा बिना जीहब कईसे
तहरा बिना मरब कईसे
तहरा बिना हसल कईसन
तहरा बिना रोअल कईसन
मन में अंधार भईल बा~
आके अब दीप जला द~~
हमरो अन्दर तनी-सा भक्ति जगा  द~~  --२

पतझड़ के सूखा पत्ता हरिअर बना द~~
हमरो अन्दर तनी-सा भक्ति जगा  द~~  --२



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O Supreme Lord! 
Change my life from a dried autumn leaf
into lush green by arising devotion in my heart.


O Lord! the most beloved one, 
my boat is sinking into the worldly sea
Please move it to the shore. 
O Lord!Without you, 
there is no meaning in living or even dying,
no meaning in laughing or crying. 
The deep darkness prevails inside me
Please lit the candle of devotion in my heart. 

Change my life from a dried autumn leaf
 into lush green by arising devotion in my heart.


Wednesday, November 17, 2010

तुम्हारी प्यारी बातें

अब जाना है मैंने

कि एहसास होता है कैसा,

बाँछों के खिल जाने में.

अब जाना है मैंने

कि ख़ुशी होती है कितनी,

पुरानी बातें याद आने में.

भूली बिसरी यादें,

बिन निंदिया की रातें,

याद आती हैं मुझे,

तुम्हारी प्यारी बातें.
 

Sunday, November 14, 2010

अर्थ



इस ओर की उलझन नादां है,

उस ओर हकीक़त क्या देखूं?

हैं लाख छिपे अरमां दिल में,

सपनो के पार मैं क्या देखूं?


रुत मिलन की आएगी फिर से,

है इंतज़ार अब क्या देखूं?

इस रास्ते गुज़री है बहार,

श्रावण-श्रृंगार मैं क्या देखूं?


जो छीन लिया तो क्या जीते?

औ' देकर किसी को क्या हारे?

हर बात के मतलब हैं हज़ार,

अब जीत-हार मैं क्या देखूं?