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Thursday, March 21, 2013

मकां आसमां है तेरा


ज़मीं पर है तू मगर मकां आसमां है तेरा,
इन पैरों को पर बनने की ख्वाहिश तो दे ज़रा।

ये हकीक़त जो है, सपनों से सजा ही तो है,
नींद आँखों से हटा, सपनों का दीदार तो करा।

रुख़ हवाओं का भी बदलता है इक दौर के बाद,
भरके दम उनको इस सीने से गुज़रने तो दे ज़रा।

कोई रोके, कोई टोके, क्या ही परवाह हो किसी की,
तुझे जिसकी भी हो परवाह, कदम उस ओर तू बढ़ा।

कहीं थकना, कहीं गिरना, फिर संभलना है मधुर,
राह की राग है अनोखी, बस हो मन सुर से भरा।


Picture Courtesy: http://www.guernik.com/en/ilustracion

Monday, March 5, 2012

सूट नहीं करता


कुछ ख्यालों को पर्दों में ही रखा करो,
सब बेनकाब ही हों, ये सूट नहीं करता.

तमाम बातें यूँ दिल पे न लिया करो,
सब लाजवाब ही हों, ये सूट नहीं करता.

कभी चुपचाप खुद से भी कुछ कहा करो,
सब शोर-ए-आब ही हो, ये सूट नहीं करता.

हर हुस्न है दीद के काबिल यहाँ मगर
सब बेहिजाब ही हों, ये सूट नहीं करता.

हर जाम में होता है इक नशा 'मधुर'
सब में शराब ही हो, ये सूट नहीं करता.

Picture Courtesy: http://url123.info/3174ebe8

Sunday, December 4, 2011

तुम मेरा हाल न पूछो ...



तुम मेरा हाल न पूछो, बड़ा कमाल-सा हूँ मैं,
ज़हर के घूँट पीकर भी, शरों में ढाल-सा हूँ मैं.

सिफर तक टूट करके भी, सफ़र है बरकरार मेरा,
कि इन ख़ामोश पलों में भी, बड़ा वाचाल-सा हूँ मैं.

अजब-सी राह ये ज़िन्दगी, सिला मुझको मिला ऐसा,
कि जो भी साज़ तुम छेड़ो, उसी में ताल-सा हूँ मैं.

ज़रुरत इस अँधेरे में पड़े,  बेशक बुला लेना
कि तूफाँ में भी जो जलता है वो मशाल-सा हूँ मैं.

जो जीना है तो जी भर के जियो, बनके ज़रा 'मधुर'
कि उल्फ़त में नहीं कहते कभी 'बेहाल-सा हूँ मैं'!

Picture Courtesy: http://virin.tumblr.com/post/6380054846/strength-of-a-man-abstract-nellie-vin-by-nellie

Sunday, July 3, 2011

अहा ज़िन्दगी


लम्हों-लम्हों में समाती सी ज़िंदगी,
बूँद-बूँद में सिमटती सी ज़िंदगी.

ख्वाहिशों के ऊंचे आसमान में
उड़ान को मचलती सी ज़िंदगी.

इक आशियां जहाँ हमसुखन हों सभी
उसे तलाशती सी, शाहीं सी ज़िंदगी.

इक नग़मा जो रूह में कना-अत भर दे,
उसे गाती सी, गुनगुनाती सी ज़िंदगी.

सख्त-कोशी में तलख है, शहद भी,
जो है जिस ओर, उसे अपनाती सी ज़िन्दगी.


Such a short life it is!
And each moment is so adorable!
It yearns to fly high in the sky of dreams,
It yearns to rest n chat with close friends,
It yearns to sing a song that satiates the soul,
But it keeps accepting whatever comes in the way!

Tuesday, February 23, 2010

ओ तन्हाई


ओ तन्हाई,
मुझसे बातें कर.

दिल का कोई कोना,
कहीं रो रहा है.
सूझता न कुछ, जाने
क्या हो रहा है?
पास आ ज़रा,
अब तो ना मुकर.
ओ तन्हाई,
मुझसे बातें कर.

राह में देखे हैं मैंने
सैकड़ों उल्फत-दगा.
छोड़ सपनों के उड़ान,
अब मन जगा.
हाथ ले तू थाम,
देखता है किधर?
ओ तन्हाई,
मुझसे बातें कर.


बाँध ले मुझको,
कहीं ना छूट जाऊं.
जोड़ दे हिम्मत,
कहीं ना टूट जाऊं.
खुद पे खामोशी का,
ऐसा हो असर!
ओ तन्हाई,
मुझसे बातें कर.

Picture courtsey: http://www.randyyork.net/7182.html