Monday, May 23, 2022

रिश्ते!



वीणा के समान
कई तारों से बंधे,
तान कर सधे
होते हैं रिश्ते! 

जिनके दो छोड़
होते है दो व्यक्ति
और मधुरिम संगीत
रिश्तों की अभिव्यक्ति।

प्रेम, आकर्षण,
श्री और समर्पण
हैं ये चार तार
रिश्तों के आधार!

इन चार तारों को
समय परखता है.
उत्तम वही जो
सामंजस्य रखता है!

तनाव कम
तो संगीत लुप्त!
लगाव कम
तो रिश्ते सुप्त!

तनाव अधिक
तो टूट जाते हैं!
लगाव अधिक
तो फूट जाते हैं!

जो टूटे कभी
एक भी तार
तो हिल जाता है
रिश्ते का आधार!

फिर भी टिका रहे,
अगर एक भी तार,
तो टिका रहता है
इकतारे सा आधार!

ऐसे लम्हों में
सम्बल भर देना,
न भी संभले तो,
रिश्ते न खोना!

मन में रखना
दृढ़ विश्वास,
बस करते रहना
एक और प्रयास!

कि ये आखिरी तार
बना रहे, न टूटे!
साथ जो सदा का था
वो व्यर्थ ही न छूटे!

Tuesday, May 17, 2022

संतान






संतान
संतृप्ति का सृजक है 
संतान
जीवन चक्र का पूरक है

संतान
प्रकृति के ऋण का त्राण है 
संतान
अपने प्राणों में नया प्राण है

संतान
हास्य है, रुदन है, क्रंदन है 
संतान
ह्रदय का मधुरिम स्पंदन है

संतान
बल है, शौर्य है, श्रियं है
संतान
कुल का कौस्तुभ प्रियं है

संतान
गर्व है, अभिमान है 
संतान
अपने होने का सम्मान है