Tuesday, January 22, 2013

उठ के हुंकार पुरजोर लगा

'नेताजी' सुभाषचंद्र बोस आज अगर होते, तो फिर से उन्हें एक 'आजाद हिन्द फ़ौज' बनानी पड़ती, वो भी अपने ही हिन्दुस्तानियों के खिलाफ लड़ने के लिए।   एक गीत उनकी प्रेरणा से:




क्यों कलरव का है ग्रास बना?
क्यों शिथिल आत्म-विश्वास बना?
क्यों नियति का है दास बना?
उठ के हुंकार पुरजोर लगा।

क्यों क्षुब्ध हुआ, संवेदनहीन?
क्यों बना समाज चरित्रविहीन?
तप-ताप बढ़ा, हो नष्ट मलिन,
उठ के हुंकार पुरजोर लगा।

तज क्लीय तू पौरुष मन में ठान,
कर वध जो करे स्त्री अपमान,
हो इस समाज का नवर्निर्माण,
उठ के हुंकार पुरजोर लगा।

'जय हिन्द'

Picture Courtesy: http://www.flickr.com/photos/humayunnapeerzaada/6480943555/

राष्ट्र हित मे आप भी जुड़िये इस मुहिम से ... 

http://www.change.org/petitions/set-up-a-multi-disciplinary-inquiry-to-crack-bhagwanji-netaji-mystery#share

Sunday, January 13, 2013

तुम नेह सींच सींच लेना



जो नयन तुम्हारे थक-थक जाएं,
और निंदिया हौले-हौले आए,
पलकों के पीछे पलते स्वप्न हों, 
तो न आँखें मींच मींच लेना,
तुम नेह सींच सींच लेना। 

जिनमें मधुर सरिता हो बहती,
स्नेहिल स्वर्ण कणिका हो रहती,  
उन स्वप्नों को लेना तुम थाम,  
और बांहों में भींच भींच लेना, 
तुम नेह सींच सींच लेना। 

जब होते स्वप्न हो विदा विदा,
मत होना उनसे जुदा जुदा,
तुम निद्रा-पटल से बाहर आकर 
उन्हें साकार खींच खींच लेना, 
तुम नेह सींच सींच लेना।

Dreams are inner expressions,
Dreams are the life's inspirations,
Dreams are where the reality is seeded
Dreams are where the love sprouts
Dream love, dream cheers,
Dream for self, dream for peers,
Dream and dream, until you realize
Dream and never let your dream die.


Picture Courtesy: http://www.hindi2tech.com/2010/09/blog-post_17.html

Saturday, January 5, 2013

आज़ादी के मायने

Dedicated to 'the braveheart'
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आज़ादी के मायने 

खुद ही सारे जिस्म को 
ज़ंजीरों से बाँध लिया, 
और एक अँधेरी कोठरी में
जिंदा दफ़न कर आई।
सोचा एकांत है वहां,
कोई न पहुँचेगा मुझतक,
और कोई न होगा वहाँ 
मुझे प्रताड़ित करनेवाला,
न किसी अन्याय के विरुद्ध
गुहार लगानी होगी मुझे,
और न चाहिए होगा मुझे 
कोई तीमारदारी करनेवाला।
झाँक के उस कोठरी में
यूँही देखा एक बार मैंने,
एक जिस्म थी खोखली सी,
और मैं आज़ाद, बाहर उसके।
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Picture Courtesy: Pencil Kings, Art by Aditya Ikranagera