Madhushaalaa: The Nectar House
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Tuesday, September 6, 2011
अग्निपथ से प्रेरित
कर आगे मत कर !
बढ़कर पथ पर पग धर !
तू क्यूँ विवश खड़ा है यूँ
डरकर, थककर, सहमकर?
सृजन सौभाग्य स्वयं कर,
सिर ऊंचा कर, होकर निडर !
बढ़कर पथ पर पग धर !
Inspired by 'Harivansh Rai Bachchan' :)
1 comment:
अनुपमा पाठक
February 5, 2012 at 1:57 AM
प्रेरित रचना भी प्रेरक है!
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प्रेरित रचना भी प्रेरक है!
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