Madhushaalaa: The Nectar House
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दो शब्द खुद के बारे में
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Sunday, January 5, 2025
ए आई
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जहां जाना है, उस ओर कदम नहीं बढ़ रहे, और जहां नहीं जाना, मन वहीं खींचा जाता है! यह आत्मबल क्या चीटियों से भी क्षीणतम नहीं? इस मन का हाल क्य...
Monday, May 23, 2022
रिश्ते!
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वीणा के समान कई तारों से बंधे, तान कर सधे होते हैं रिश्ते! जिनके दो छोड़ होते है दो व्यक्ति और मधुरिम संगीत रिश्तों की अभिव्यक्ति। प्रेम, आक...
1 comment:
Tuesday, May 17, 2022
संतान
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संतान संतृप्ति का सृजक है संतान जीवन चक्र का पूरक है संतान प्रकृति के ऋण का त्राण है संतान अपने प्राणों में नया प्राण है संतान हास्य है, र...
5 comments:
Saturday, October 22, 2016
ओ वराभय!
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बहुत दिनों से ब्लॉग जगत से दूर रहा। बहुत 'मिस' भी करता रहा। शोध कार्य चरम पर था , अतः व्यस्तता बढ़ गयी। ईश्वर के कृपा से पीएचडी प...
23 comments:
Thursday, March 10, 2016
हे बुद्धिजीवीयों
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मनुस्मृति ही क्यों, तुम वेद-पुराण भी जला डालो, धर्म, शास्त्र, नीतियों को तुम हँसी में ही उड़ा डालो! वैसे भी इन्हे समझ पान...
8 comments:
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