क्या खाली, क्या भरा यहाँ पे,
सबके हाथों में है प्याला.
सबका एक नशा निश्चित है,
सबकी अपनी-अपनी हाला.
कुछ पी-पी कर जीते हैं और
कुछ जी-जी कर पीते हैं,
नशा नहीं लेकिन सम सबका,
एक नही सबकी मधुशाला.
असमंजस का डेरा जमता,
कितने प्याले! कितनी हाला!
कौन नशा उत्तम है करता,
किसकी हाला, अव्वल हाला?
प्रियतम, पीने के पहले ही,
हम-प्याले तुम ऐसे चुनना,
जिनका एक नशा, इक हाला,
एक हो जिनकी मधुशाला.
Picture Courtesy: Jeet (Jeetender Chugh)